छत्तीसगढ़

अब गौठानों में गोबर से बन रहे गमले

रायपुर
गौठान के गोबर से बने कम्पोस्ट, दिये और अन्य उपयोगी सामानों को लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद अब दुर्ग जिले में समूह की महिलाएं गोबर से गमले तैयार कर रही हैं। इन गमलों को नर्सरी में विक्रय किया जाएगा। नर्सरी के लिए यह गमले काफी उपयोगी होंगे क्योंकि गोबर में जैविक खाद के काफी गुण होते हैं,इसके अलावा इसमें काली, पीली मिट्टी और भूसे का भी उपयोग किया जा रहा है। इन सबके मिश्रण से पौधे के लिए खाद का अच्छा स्रोत तैयार होता है। अत: पौधे के पोषण की जरूरतें गमले से ही पूरी हो जाएंगी। उल्लेखनीय है कि जिले के पाहंदा के समूह की महिलाओं ने अब तक 30 क्विंटल कंडे एवं जैविक खाद का विक्रय कर लिया है। अब गोबर के गमले बनाकर वे नई व्यावसायिक संभावनाओं की दिशा में बढ़ रही हैं।

माडल गौठानों में नवाचारों के माध्यम से महिला स्वसहायता समूहों को अधिकतम अवसर देने के लिए दुर्ग जिले के पाहंदा, ढौर, अमलीडीह, बोरवाय, ढाबा जैसे माडल गौठानों में गोबर के गमले बनाये जा रहे हैं। इसके लिए जिला पंचायत ने महिला स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया है और बाजार भी चिन्हांकित किया गया है। दिल्ली से जलशक्ति मंत्रालय के लिए गठित टास्क फोर्स ने पाहंदा माडल गौठान में इन गमलों को देखा तो वे काफी खुश हुए। उन्होंने कहा कि इस तरह के नवाचार से ही आर्थिक सशक्तिकरण होता है। कई बार आप अपने बीच के संसाधनों से ही ऐसी चीजें बना सकते हैं, जो आपके लिए भी काफी उपयोगी होती हैं और जिसकी व्यावसायिक संभावनाएं भी होती हैं।

जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि हर गौठान के परिवेश की जरूरतों के मुताबिक अलग तरह का नवाचार अपनाया जा रहा है ताकि स्वसहायता समूहों को विस्तारित बाजार मिल सके, वे अपने आसपास के साधनों से ही ऐसी चीजें बनाएं जिसकी व्यावसायिक संभावनाएं अधिक हों, इसके लिए हम प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन उपलब्ध करा रहे हैं और बाजार लिंकेज की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं।

>

About the author

info@jansamparklife.in

Leave a Comment