देश

थॉलीनॉमिक्स: ‘शाकाहारी भोजन करने वाला परिवार हर साल बचा रहा 11 हजार रुपये’

 
नई दिल्ली

बजट से एक दिन पहले संसद में शनिवार को पेश आर्थिक समीक्षा में जनता की आमदनी और उसके भोजन की थाली के खर्च के बीच के अर्थशास्त्र को भी समझाया गया है। समीक्षा के मुताबिक, पिछले 13 सालों के दौरान आम आदमी की आमदनी और खाने-पीने की चीजों के दामों में वृद्धि का समीकरण देखें तो इस दौरान शाकाहारी थाली 29% सस्ती हुई है, जबकि मांसाहारी थाली 18% सस्ती हुई है। साथ ही, दाम कम होने से दिन में दो थाली खाने वाले औसतन पांच व्यक्तियों के आम परिवारों को हर साल करीब 10,887 रुपये का फायदा हुआ, जबकि मांसाहार खाने वाले परिवार को हर साल औसतन 11,787 रुपये का लाभ हुआ।
समीक्षा में थालीनॉमिक्स पर पूरा अध्याय
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2019- 20 की आर्थिक सर्मीक्षा शनिवार को संसद में पेश की। समीक्षा में ‘थालीनॉमिक्स’ नाम से एक पूरा अध्याय दिया गया है। इसमें कहा गया है कि 2006-07 से लेकर 2019- 20 की अवधि में शाकाहारी थाली खरीदने का सामर्थ्य 29% बढ़ा है, जबकि मांसाहारी थाली 18% अधिक सुलभ हुई है।
 
13 साल के आंकड़ों से निकाला निष्कर्ष
आर्थिक समीक्षा में 25 राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के 80 केन्द्रों के अप्रैल 2006 से लेकर अक्टूबर 2019 तक के औद्योगिक कर्मचारियों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े जुटाए गए। इन्हीं आंकड़ों के विश्लेषण से ‘थाली’ का मूल्य और उसकी सुलभता तय की गई है। समीक्षा के अनुसार शाकाहारी थाली में अनाज, सब्जी और दाल शामिल है, जबकि मांसाहारी थाली में अनाज के साथ ही सब्जी और कोई एक मांसाहारी खाद्य पदार्थ शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘देशभर में और देश के चारों क्षेत्रों- उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में यह देखा गया है कि 2015-16 के बाद से शाकाहारी थाली का दाम उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है, हालांकि 2019 में दाम कुछ बढ़े हैं।’
 
सालाना कुल 22,674 रुपये का फायदा
समीक्षा के मुताबिक, दाम कम होने से दिन में दो थाली खाने वाले औसतन पांच व्यक्तियों के आम परिवारों को हर साल करीब 10,887 रुपये का फायदा हुआ, जबकि मांसाहार खाने वाले परिवार को हर साल औसतन 11,787 रुपये का लाभ हुआ। इसमें कहा गया है कि औसत औद्योगिक श्रमिकों की सालाना कमाई को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2006-07 से 2019- 20 के बीच शाकाहारी थाली खरीदने की उसकी क्षमता 29% बेहतर हुई और मांसाहारी थाली खरीदने की क्षमता 18 प्रतिशत सुधरी है।

2015-16 से थाली मूल्य में गुणात्मक बदलाव
समीक्षा में दावा किया गया है कि 2015-16 को वह साल माना जा सकता है, जब से थाली के दाम में गुणात्मक बदलाव आना शुरू हुआ। वर्ष 2014-15 से ही कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई क्षेत्रों में सुधार उपायों की शुरुआत की गई। समीक्षा के अनुसार बेहतर और अधिक पारदर्शी मूल्य खोज के लिए कृषि बाजार की दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाने के उपायों की भी जरूरत है।

>

About the author

info@jansamparklife.in

Leave a Comment