परीक्षा का तनाव हो तो मम्मी-पापा से करें बात

 पटना 
बोर्ड की परीक्षा एक पड़ाव है। यह शुरुआत है। इसका फायदा उठाएं। मम्मी पापा के दबाव पर ध्यान नहीं दें, बल्कि खुद पर भरोसा करें। परीक्षा का टेंशन न लें। परीक्षा के डर को साथ लेकर चलें और डर को हमेशा ऑल इज वेल कहें। इससे डर खत्म होगा। परीक्षा के पहले हर किसी को घबराहट होती है। घबराहट हो रही है तो समझें आपकी तैयारी अच्छी है।
 
 यह सलाह मनोचिकित्सक डॉ. सुमेधा तिवारी द्वारा बोर्ड परीक्षार्थियों को दी गई। हिन्दुस्तान टेली काउंर्सिंलग के तहत गुरुवार को बोर्ड परीक्षार्थियों की काउंर्सिंलग की गयी।  काउंर्सिंलग हिन्दुस्तान कार्यालय में हुई। प्रदेशभर के छात्रों ने फोन पर सलाह ली। ज्ञात हो कि फरवरी के पहले सप्ताह से बोर्ड परीक्षा शुरू हो रही है। यह मार्च तक चलेगी। ऐसे में बोर्ड परीक्षार्थी मानसिक तनाव से निकल सके, इसके लिए आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने मनोचिकित्सक द्वारा टेली काउंर्सिंलग कराई। 
 
बच्चें की बात को सुनें, वह क्या कहना चाहते हैं, उस पर ध्यान दें, शब्दों पर नहीं बल्कि उनके र्फिंलग्स को समझें, अपनी उम्मीदें बच्चों पर ना डालें, बस उनके साथ रहें। घर में खुशी का माहौल रखें, बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार करें जिससे वो आपके ऊपर भरोसा करें, परीक्षा में अंक पर नहीं बल्कि बच्चे के ज्ञान पर फोकस करें सोने और जागने का समय फिक्स करें, खाने पर विशेष ध्यान दें, तैलीय चीजें न खायें हर दिन व्यायाम जरूर करें, पानी खूब पिएंं, परीक्षा हॉल में परीक्षा शुरू होने के पहले दो मिनट आंखें बंद कर ध्यान जरूर कर लें डॉ. तिवारी ने परीक्षार्थियों को बातें साझा करने की भी सलाह दी। बताया कि हर दो घंटे पर पढ़ाई को ब्रेक दें। इस दौरान जो भी डर या पढ़ाई का टेंशन हो, उसे मम्मी-पापा से जरूर साझा करें। इससे आपको खुद पर विश्वास आयेगा। कई छात्रों ने पढ़ने के बाद भूलने की शिकायत की। इस पर कहा कि याद करना और भूलना नॉर्मल प्रक्रिया है। यह दो तरह से होता है। एक हम तुरंत भूल जाते हैं और दूसरे कई दिनों बाद भूलते हैं। जो बार-बार भूल जाते हैं, उस टॉपिक को पढ़ने के बाद उसे मन ही मन में सोचें तो दिमाग में आयेगा। 

प्रश्न के उत्तर ढूंढ़ने के उपाय करें
काउंर्सिंलग के दौरान तनावमुक्त परीक्षा को लेकर मनोचिकित्सक डॉ. सुमेधा तिवारी ने कहा कि अक्सर ऐसा होता है कि जब परीक्षा नजदीक आती है तो डर अधिक बढ़ने लगता है। जब ऐसा हो तो उसे एक फर्मूला से जोड़ें। जब दिन कम हो तो घंटा की गिनती करें। जब घंटा बचे तो मिनट की गिनती करें। इससे परीक्षा के समय सीमा को लेकर डर नहीं लगेगा। परीक्षा में टेंशन जरूरी है, क्योंकि इस समय आपके मन में प्रश्न उठ रहे होते हैं। उस प्रश्न के उत्तर ढूंढ़ने के उपाय करें, न कि उसे डर बनाकर उससे दूर भागें। डरने से और अधिक तनाव होगा।

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