नई दिल्ली
'अगर कोई आपके घर आता है, तो वह खाली हाथ नहीं आता है। कुछ ना कुछ लेकर जरूर आता है। ऐसा ही कुछ हाल शाहीन बाग में चल रहे प्रोटेस्ट का है। यहां पर कोई भी आता है, वह अपने साथ प्रदर्शनकारियों के लिए कुछ ना कुछ लेकर आता है। जैसे कि मैं कॉलेज में पढ़ता हूं और मैं यहां पर रोज आता हूं, कभी एक दर्जन केले लेकर आता हूं, तो कभी कुछ। ताकि जो लोग संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, उनका मैं कुछ साथ दे सकूं।'
यह कहना है छात्र मोहम्मद अफरोज का जो शाहीन बाग के स्टेज के पास केले लोगों में बांट रहे थे। उन्होंने बताया कि हर किसी का एक ही सवाल है कि कैसे हम इतने दिन से बैठे हैं। खाना कैसे आ रहा है लेकिन एक बात कह देना चाहता हूं कि जब इरादा पक्का हो तब कोई भी मुसीबत आ जाए। हर मुश्किल पार कर ली जाती है।
कुछ गलत होता तो क्यों आते
प्रदर्शनकारी अजीम अशरफ ने बताया कि पुलिस यहां पर 24 घंटे तैनात रहती है और वह हमेशा इसी ताक में रहती है कि कोई गलती हो और वे इन्हें यहां से उठा ले। उन्होंने कहा, 'अगर यहां पर ऐसा कुछ हो रहा होता तो क्या हम यहां पर बैठे होते। बहुत दूर से लोग आते हैं और खाने के लिए कभी बिरयानी, पानी, फ्रूट और अन्य चीजें देकर जाते हैं और उसी को हम सभी प्रदर्शनकारियों के बीच में बांट देते हैं। कुछ महिलाएं घर से खाना खाकर आती हैं और लेकर भी आती हैं। ज्यादातर दोपहर के समय ही खाना बांटा जाता है।'
मेहमानों की खातिरदारी
वहीं इमाद अहमद का बताते हैं, 'हम अपने इलाके के जानने वाले लोगों के पास जाते हैं और उनसे मदद के लिए कहते हैं। तभी वे यहां पर आकर कभी कंबल और गद्दे देकर चले जाते हैं। इसी तरह हमारा प्रदर्शन चल रहा है।' प्रदर्शनकारी महिला नूर जहां का कहना है कि अगर आपके घर में कोई मेहमान आता है, तो क्या आप उन्हें अपने घर से बिना खातिरदारी के वापस भेज देते हैं, नहीं ना। उन्होंने कहा, 'तो हमारा साथ देने के लिए आए लोगों को कैसे बिना खातिरदारी के वापस भेज सकते हैं। हम अपने घरों से समान लाते हैं, ताकि हम अपने मेहमानों की खातिरदारी अच्छे से कर सके क्योंकि वे हमारे संघर्ष की लड़ाई में हमारे साथ खड़े हैं।'
पंजाब से आए लोगों ने दिया अनाज का दान
शाहीन बाग में पिछले कई दिनों से प्रदर्शनकारियों के लिए लंगर लगाया जा रहा है जो शाम के समय चलता है और सैकड़ों की संख्या में लोग लंगर खाते हैं। इसकी जानकारी देते हुए हमसीमरन सिंह ने बताया कि जब हमारे पंजाब से भाई जब भी आते हैं। वे प्रदर्शनकारियों के लिए अनाज लेकर आते हैं और उसी अनाज से हम एक समय का भोजन लोगों को करवाते हैं। इसी तरह किसी भी अन्य राज्य से लोग आते हैं, तो कभी गेहूं, चावल, आटा जरूर लेकर आते हैं।