जबलपुर
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बदली सत्ता की कमान के बाद महाकौशल (Mahakoshal) को मानो अपना पुराना कद और दबदबा वापस सा मिल गया. कभी प्रदेश की राजनीति का केन्द्र रहा महाकौशल अंचल एक बार फिर पॉवर सेंटर बन गया. मुख्यमंत्री (Chief Minister) समेत विधानसभा अध्यक्ष (Speaker of the Legislative Assembly) और कैबिनेट मंत्रियों (Cabinet Minister's) की लिस्ट अब महाकौशल से आती है, लेकिन इसी अंचल के मुख्य केन्द्र को मानो विखंडन के जख्म झेलने पड़ रहे हैं.
कांग्रेस सरकार आने के बाद लगा कि विकास के साथ उपलब्धियां जबलपुर शहर के नाम होंगी, लेकिन हुआ तो सिर्फ उसका उलट. सरकार की इन नीतियों से एक बड़े जनआंदोलन की तैयारी शुरू हो गई है.
कभी प्रदेश की राजधानी बनने की दौड़ में शामिल रहे जबलपुर को न्यायधानी से ही संतुष्ट होना पड़ा था. आज ये प्रदेश की न्यायधानी के साथ संस्कारधानी के नाम से पहचान रखती है, लेकिन ये शहर की खराब किस्मत ही कह लें कि कमज़ोर राजनैतिक नेतृत्व और इच्छाशक्ति के कारण इस शहर को लंबे समय से सिर्फ उपेक्षा और विखंडन का दंश ही झेलना पड़ा. चाहे किसी की भी सरकार आई, लेकिन शहर को कोई खास महत्व नहीं दिला सकी. वहीं उल्टा जो इस शहर का था वो भी उससे छिन गया. बीते साल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ प्रदेश में बदले सियासी तेवर और महकौशल के बढ़े कद ने मानो संस्काधानीवासियों को नई उम्मीद की रोशनी दी, लेकिन वो भी शहर में फैले उपेक्षा के अंधकार को नहीं मिटा सकी.