कानपुर
कुख्यात आतंकी डॉ. जलीस अंसारी की गिरफ्तारी से पहले वह अकेले अपनी टीम के बलबूते दिल्ली को दहलाने की योजना बना चुका था। उससे पहले उसके गुट के लोगों तक सीबीआई पहुंच गई। उनसे आतंकी की सूचना निकलवाने के बाद सन 1995 में उसे दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया।
डॉ. जलीस अंसारी ने जब 1993 में धमाकों को अंजाम दिया। उसके बाद भारतीय एजेंसियों ने दबाव बनाया। जलीस ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पाकिस्तान, दुबई और नेपाल में अपने आकांओं से सम्पर्क किया पर सबने हाथ खड़े कर दिए। मजबूरन जलीस को वापस भारत लौटना पड़ा था। मुंबई एटीएस की पूछताछ में उसने जानकारी दी कि वापस लौटने के बाद उसने सोच लिया था कि गिरफ्तारी से पहले एक और बड़ी घटना को अंजाम देगा। इसके लिए उसने अपने द्वारा तैयार किए गए युवाओं की एक बैठक गुलाम कश्मीर में की। उस बैठक में लगभग 100 युवाओं ने हिस्सा लिया था। तब आतंकी ने उन्हें जानकारी देते हुए दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट की योजना से अवगत कराया।
आतंकी दिल्ली आ पहुंचा। उसकी योजना में करोल बाग, कनॉट प्लेस और दक्षिण दिल्ली के कुछ इलाकों में धमाका करना शामिल था। उसने कुछ युवाओं को बम की सामग्री इकट्ठा करने की जिम्मेदारी दी थी और कुछ को उपकरण। लगभग 20 लोगों को उसने सभी चिन्हित स्थानों की रेकी कर चित्र तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
गिरोह में हुआ धोखा और पकड़ा गया आतंकी
जलीस के साथ जो लोग इस घटना को अंजाम देने में शामिल थे। उनमें से कुछ युवाओं तक सीबीआई पहुंच गई। एजेंसी ने उनसे पूछताछ की और दबाव बनाने के साथ ही युवा टूट गए। उन्होंने जलीस की लोकेशन समेत उसकी पूरी जानकारी दे दी। एजेंसी जलीस को गिरफ्तार करने में कामयाब हो गई।
आज भी है गद्दार की तलाश
मुंबई एटीएस को जानकारी देते हुए जलीस ने कहा की उसने उस गद्दार को खोजने की बहुत कोशिश की मगर उसके बारे में कुछ पता नहीं चला। उसने जेल से ही अपने लोगों को उसकी तलाश के लिए लगाया पर कोई जानकारी नहीं मिल सकी। आतंकी ने एजेंसियों से कहा कि उसे आज भी उस गद्दार की तलाश है।