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गौरी लंकेशः आज जिंदा होतीं तो कितने वर्ष की होतीं, कहां पहुंची जांच

 
नई दिल्ली 

29 जनवरी 1962 को दिवंगत पत्रकार गौरी लंकेश का जन्म कर्नाटक में हुआ था. 5 सितंबर 2017 में गौरी लंकेश को उनके घर के बाहर गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया गया था. अगर आज गौरी लंकेश जिंदा होतीं तो वो 58 साल की होतीं. आखिर कौन थी वो महिला पत्रकार, जिसे मारने के लिए रची गई थी एक खौफनाक साजिश. जिसका खुलासा करने में पुलिस अधिकारियों की एक बड़ी टीम ने करीब डेढ़ साल कड़ी मशक्कत की. आइए जानते हैं इस मामले में कब क्या हुआ.

– 5 सितंबर 2017 को गौरी लंकेश की हत्या के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए थे. हर एंगल से इस हत्याकांड की जांच कराने के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठित कर दिया.

– राज्य पुलिस के तेजतर्रार पुलिस अधिकारी अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बी. के. सिंह और उपायुक्त एम. एन. अनुचेत को इस हत्याकांड की जांच का जिम्मा सौंपा गया. उन्होंने नक्सल और दक्षिणपंथी हिंदुत्व वाले एंगल पर मामले की जांच की.

– एसआईटी महीनों तक अंधेरे में तीर चलाती रही. उसे आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला. लाखों टेलीफोन कॉल चेक की गईं. हजारों संदिग्धों से पूछताछ की गई. फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला. पुलिस अधिकारी परेशान थे.

– फरवरी 2018 में इस केस में पहला सुराग मिला. पुलिस ने नवीन कुमार उर्फ हॉटी मंजा नामक एक बदमाश को गिरफ्तार किया. उसके पास से अवैध हथियार बरामद हुआ. 7 दिन की पूछताछ के बाद उसने गौरी लंकेश के हत्यारों की मदद करने की बात कुबूल की.

– पुलिस अधिकारी एमबी सिंह और अनुचेता की टीम तीन महीने की कड़ी मशक्कत के बाद गौरी लंकेश के हत्यारे तक जा पहुंची. उसकी पहचान 25 वर्षीय परशुराम वाघमारे के रूप में हुई. वह उत्तरी कर्नाटक के बीजापुर जिले के सिंधगी कस्बे का रहने वाला है. जहां वो एक दुकान चलाता था.

– जांच में एसआईटी को पता चला कि शातिर आरोपी परशुराम वाघमारे के संबंध कट्टरपंथी संगठन श्री राम सेने और सनातन संस्था से थे. इसके बाद एसआईटी की टीम उसे बेंगलुरु सीआईडी ऑफिस में मौजूद अपने दफ्तर ले आई और वहां उससे लंबी पूछताछ की गई.
 
– सख्त पूछताछ के सामने परशुराम वाघमारे टूट गया. उसने कुबूल किया कि किसी के कहने पर उसने पत्रकार गौरी लंकेश का मर्डर किया है. क्योंकि वह हिंदू समाज की भावनाओं को आहत कर रही थी. उसने इस हत्या की साजिश में शामिल दूसरों लोगों के नाम भी उजागर कर दिए.

– जांच में पता चला कि सभी आरोपी केवल साक्षर भर थे. उन्हें दुनियादारी के बारे में ज्यादा पता नहीं था. उन्हें ब्रेनवॉश करके गौरी लंकेश की हत्या का काम सौंपा गया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए खासा प्लान तैयार किया गया था. वे उस रास्ते से गौरी लंकेश के घर पहुंचे थे, जहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था. हत्या के बाद आरोपी फौरन शहर छोड़ कर चले गए थे. उनका प्रोफाइल काफी लो था.

– पुलिस के हाथ बड़ी कामयाबी लग चुकी थी लेकिन अभी तक इस हत्याकांड की साजिश रचने वाला शातिर मास्टर माइंड पुलिस की पहुंच से बाहर था. अब पुलिस की एसआईटी उसे पकड़ने की योजना पर काम कर रही थी.

– जांच में पता चला कि कातिलों के तार महाराष्ट्र में दाभोलकर और पनसारे हत्याकांड से भी जुड़े हो सकते हैं. लिहाजा महाराष्ट्र पुलिस की टीम ने बेंगलुरू आकर साक्ष्य जुटाए थे.

– उधर, श्रीराम सेने के संस्थापक प्रमोद मुतिलक ने गौरी के हत्यारों का अपने संगठन से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया था. उनका दावा था कि वाघमारे आरएसएस का कार्यकर्ता है. इसके बाद आरएसएस ने भी इस तरह के आरोपों को पूरी तरह नकार दिया था.
 
– जांच अधिकारियों को इनपुट मिला था कि पुणे का एक इंजीनियर आमोल काले और अमित दिगवेकर ही गौरी और कुलबर्गी, पंसारे और दाबोलकर की हत्याओं का मास्टर माइंड हैं. इस मामले में एक बाद एक करीब आधा दर्जन आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गए. हालांकि अभी भी इस मामले की जांच बंद नहीं हुई है. कई पेच ऐसे हैं, जिन्हें एसआईटी को सुलझाना है.

– इसी दौरान अगस्त 2019 में कर्नाटक सरकार ने गौरी लंकेश जांच से जुड़ी एसआईटी को उम्दा जांच के लिए 25 लाख रुपए का सम्मान दिया. प्रदेश सरकार ने ही इन अधिकारियों को सम्मानित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से सिफारिश की थी. इसके बाद जांच अधिकारी (आईपीएस) एमएन अनुचेत, डिप्टी एसपी रंगप्पा और इंस्पेक्टर राजा को केंद्र सरकार ने 'केंद्रीय गृह मंत्री पदक' से सम्मानित किया. अनुचेत और उनकी टीम के 40-50 अधिकारियों ने 15-16 महीने में गौरी लंकेश हत्या मामले की गुत्थी सुलझा लेने का दावा किया था.

– 10 जनवरी 2020 को पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के एक और आरोपी ऋषिकेश देवडीकर को झारखंड के धनबाद से गिरफ्तार कर लिया गया. बेंगलुरु की एसआईटी ने एक पेट्रोल पंप पर छापेमारी कर आरोपी ऋषिकेश को गिरफ्तार किया. 44 वर्षीय ऋषिकेश सुराग और सबूतों की तलाश में उसके घर की तलाशी भी ली गई थी.
 

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