भोपाल.दो पक्षों में झगड़े के बाद सागर में जिंदा जलाए गए युवक धनप्रसाद अहिरवार (Dhan Prasad Ahirwar) की मौत हो गई. बीजेपी (BJP) ने उसकी मौत के लिए प्रदेश सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. विपक्षी पार्टी का कहना है कि अगर सरकार ने समय पर इलाज कराया होता तो धनप्रसाद की जान बचायी जा सकती थी.
धनप्रसाद को मंगलवार देर रात ही दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां गुरुवार सुबह इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. धनप्रसाद को इलाज के लिए मंगलवार देर रात एयर एम्बुलेंस के जरिए गंभीर हालत में दिल्ली भेजा गया था. धनप्रसाद की मौत के लिए बीजेपी ने प्रदेश सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इसके पीछे पुलिस की लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहराया था.
बीजेपी का आरोप
बीजेपी ने धनप्रसाद की मौत के लिए सीधे-सीधे प्रदेश सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि सरकार ने उसे ठीक से इलाज नहीं मुहैया कराया. ये बेहद दुखद और शर्मनाक है. सरकार की सांप्रदायिक तुष्टिकरण की नीति ने धनप्रसाद की जान ले ली.
समय पर नहीं दिया इलाज
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने ट्वीट किया कि आखिरकार मध्यप्रदेश में शासन प्रशासन की लापरवाही ने सागर के दलित युवक धन प्रसाद अहिरवार की जान ले ली.समय रहते सरकार अगर दलित युवक की सुध ले लेती तो आज उस युवक की जान बचाई जा सकती थी.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने पुलिस को माना था जिम्मेदार
दो दिन पहले ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की टीम धन प्रसाद को देखने भोपाल आयी थी. टीम ने युवक और उसके परिवार से बात की थी. आयोग ने इस घटना के पीछे पुलिस लापरवाही को ज़िम्मेदार माना था. आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एल मुरुगन ने कहा था कि पुलिस अगर समय रहते परिवार की शिकायत पर एक्शन लेती, तो शायद ये घटना नहीं होती. उन्होंने सागर एसपी अमित सांघी को डांट भी लगायी थी.घटना से 8 दिन पहले परिवार ने विवाद की शिकायत स्थानीय पुलिस से की थी.परिवार ने अपने साथ किसी अनहोनी की आशंका पुलिस से जताई थी. लेकिन पुलिस न एफआईआरदर्ज की और न ही कोई एक्शन लिया.
सागर एसपी को फटकार
इस घटना को लेकर सागर एसपी अमित सांघी ने आयोग को प्रतिवेदन भेजा था. सांघी ने प्रतिवेदन में पूरे घटनाक्रम और पुलिस कार्रवाई का जिक्र किया था. आयोग के उपाध्यक्ष मुरुगन ने भोपाल दौरे के दौरान सांघी से फोन पर बातचीत की थी. उन्होंने कहा था पुलिस ने परिवार की शिकायत पर कोई एक्शन नहीं लिया था, इसलिए इतनी बड़ी घटना हुई है. इस पूरी घटना में पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है. उन्होंने इस लापरवाही को लेकर एसपी को कार्रवाई के लिए कहा था.
एयर एंबुलेंस की मांग
आयोग के उपाध्यक्ष मुरुगन ने कहा था कि अस्पताल में भर्ती फरियादी की हालत बिगड़ती जा रही है. इसलिए उसे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए. उन्होंने युवक को दिल्ली शिफ्ट करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार से एयर एंबुलेंस की मांग की थी. उसके बाद ही धनप्रसाद को दिल्ली ले जाया गया था.
ये था घटनाक्रम
सागर में जलाए गए युवक धनप्रसाद अहिरवार ने दम तोड़ दिया. धर्म श्री बाबा अम्बेडकर कॉलोनी में रहने वाले धनप्रसाद अहिरवार को 14 जनवरी को जिंदा जला दिया गया था. 60 फीसदी झुलसी हालत में उसे भोपाल के हमीदिया अस्पताल लााय गया था. यहां इलाज के बाद मंगलवार देर रात एयरलिफ्ट करके दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल ले जाया गया था. आरोपियों ने उसके परिवार से मारपीट करते हुए धनप्रसाद को घेर लिया और उसे आग लगा दी थी. आरोपी कई दिनों से परिवार के लोगों को परेशान कर रहे थे. मोतीनगर पुलिस ने आरोपी छुट्टू, अज्जू, कल्लू, इरफान के खिलाफ धारा 294, 323, 452, 307, 34 व एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. परिवार का आरोप है कि आरोपी राजीनामा करने के लिए उन पर दबाव बना रहे थे.