नई दिल्ली
नया लोन लेने वालों को आरबीआई ने खुशखबरी दी है। केंद्रीय बैंक ने निर्देश दिया है कि सभी बैंक रीपो रेट में कटौती का सीधा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए कर्ज को रीपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) से जोड़ें, जो 1 अक्टूबर से लागू होगा। हालांकि इसका तुरंत फायदा नया लोन लेने वालों को मिलेगा, मौजूदा ग्राहकों को नई दर का फायदा मिलने में थोड़ा समय लगेगा क्योंकि इसके लिए लोन कन्वर्जन चार्ज देना होगा और साथ ही कन्सेंट फॉर्म भरना होगा।
रीपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) से बेहतर ट्रांसमिशन होगा और पारदर्शिता बढ़ना तय है। SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉरपोरेशन बैंक, कैनरा बैंक आदि द्वारा अब तक घोषित RLLR बेस्ड होम लोन से यह बात साफ भी हो रही है। उदाहरण के लिए रीपो रेट में 35 बेसिस पॉइंट्स की कमी के बाद एसबीआई ने RLLR बेस्ड होम लोन रेट में भी इतनी ही कमी की। 8.4% के इसके मिनिमम रेट से यह घटाकर एसबीआई के नए और मौजूदा, दोनों बॉरोअर्स के लिए 8.05 प्रतिशत की गई, लेकिन कई तरह के चार्जेस के कारण मौजूदा ग्राहकों को देर से फायदा मिल सकेगा।
मौजूदा ग्राहकों पर लोन का आधार शिफ्ट करने पर लगेंगे कई चार्ज
आपको अपफ्रंट कन्वर्जन फीस का असर शामिल करते हुए ब्याज भुगतान में होने वाली बचत की गणना करनी होगी। उदाहरण के लिए, एसबीआई ने स्कीम लॉन्च करते समय बकाया लोन अमाउंट पर 0.25 प्रतिशत का कन्वर्जन चार्ज लगाने की घोषणा की थी। इसी तरह कॉरपोरेशन बैंक का कन्वर्जन चार्ज 0.20 पर्सेंट है, जो लोन की बकाया राशि पर लागू होगा। हालांकि अगर आप दूसरे बैंक के पास जाना चाहते हों तो प्रोसेसिंग, वैल्यूएशन और लीगल फीस जैसे दूसरे चार्ज भी आपको देने होंगे।
मौजूदा MCLR लिंक्ड लोन ग्राहक करें इंतजार
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आपके अपने बैंक के बाद आपको अन्य बैंकों के रीपो रेट लिंक्ड होम लोन आने तक इंतजार करना चाहिए और उसके बाद विकल्प खंगालें। ऐसा करने से हो सकता है कि दूसरे बैंक के पास शिफ्ट करने में होने वाली परेशानी और लागत से बचा जा सकेगा। जब आपके पास पर्याप्त विकल्प हों तो शिफ्ट करने से पहले होमवर्क कर लें क्योंकि इसमें लागत का मसला भी है।
अपने ही बैंक के RLLR पर शिफ्ट होने को फायदा
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अपने ही बैंक के RLLR पर शिफ्ट होने वाले बॉरोअर्स के लिए यह काम अपेक्षाकृत आसान होगा। अहम बात यह है कि आपको यह भी देखना होगा कि दूसरे बैंक RLLR के ऊपर कितना स्प्रेड चार्ज कर रहे हैं। RLLR और ऑफर किए जा रहे फाइनल रेट के बीच के मार्जिन यानी स्प्रेड के असर पर ध्यान रखें। उस बैंक को चुनें, जिसका स्प्रेड सबसे कम हो क्योंकि वह आरबीआई की ओर से तय रेपो रेट पर सबसे कम मार्जिन ले रहा है।