राजनांदगांव
राजनांदगांव भाजपा साफ तौर पर अब सांसद संतोष पांडे व पूर्व सांसद मधुसूदन यादव खेमें में बंट गया है। दरअसल लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार यादव खेमे ने किनारा कर लिया था इसके बावजूद पांडे की जीत ने एक नया खेमा खड़ा कर लिया। मधुसूदन वैसे भी घोषित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद के पसंद है सबको मालूम है। संगठन में जब जिला अध्यक्ष बनाये जाने की बात आई तब भी भाजपा के तमाम बड़े नेताओं को लेकर संतोष पांडे रायपुर पहुंचे और मधुसूदन का विरोध किया था इसके बाद भी उसे अध्यक्ष बना दिया गया। इस बीच निगम चुनाव में करारी हार के बाद अब सांसद का खेमा खुलकर विरोध में उतर आया है। वे दिल्ली तक अपनी बात रख रहे हैं।
जानकार सूत्रों के अनुसार पिछले पन्द्रह सालों में सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री की पसंद पर ही यहां की राजनीति चली थी। आरएसएस की पसंद पर संतोष पांडे को टिकट मिली तो पुराना कुनबा नाराज हो गया। अपनी सक्रियता से पांडे ने अपनी अलग लाइन बना ली है और कार्यकतार्ओं की फौज भी उनके साथ हैं। इस बीच अभिषेक सिंह भी स्थानीय राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। लगातार हार के बाद अब मधुसूदन को भी पार्टा कार्यकर्ता पहले की तरह तवज्जो नहीं दे रहे हैं। प्रदेश में भाजपा की सत्ता के जाते ही गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है। पार्टी के ही नेता एक-दूसरे नेताओं की पोल खोलने व नीचा दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री का गृह जिला है इसलिए संगठन भी कुछ करने के मूड में नहीं हैं। निगम चुनाव में हार की समीक्षा का जिम्मा लेने कोई भी तैयार नहीं है। जिलाध्यक्ष दबाव में समीक्षा बैठक भी नहीं बुला पा रहे हैं।