रायपुर
न पंडाल न मंच,न नेता न पदाधिकारी। खुले आसमान के नीचे सभी जयस्तंभ चौक के सामने किरण बिल्डिंग की सीढ़ी और आसपास इकट्ठे होते हैं। जिसमें महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चों सहित हर उम्र के लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। जिन्हे कड़कड़ाती ठंड की भी परवाह नहीं हैं,देखकर ताज्जुब होता है जब गोद में बच्चे लेकर महिलाएं भी इसमें शामिल होती हैं। छोटी से बैटरी वाली माइक के सहारे वे अपनी बातें शालीनता से रखते हैं लेकिन सभी का मकसद सिर्फ और सिर्फ देशभर में सीएए, एनआरसी लागू किए जाने का विरोध हैं। पिछले दिनो जेएनयू में हुए हमले के बाद से वे और भी ज्यादा उद्देलित है। कारवां लगातार बढ़ते ही जा रहा है। लगभग आठ से दस दिन हो गए होंगे। राह से गुजरने वाले लोगों को भी आश्चर्य होता है कि यह कौन सा प्रदर्शन है जब लोग अपने घरों में सो रहे होते हैं तो ये किनके लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस प्रदर्शन में सभी संगठन, धर्म व जाति के लोग शामिल हो रहे है। लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदर्शन के दौरान जनगीतों, कविताओं, नाट्य संवादों के माध्यम से भी अपनी बातें रखी जा रही है। रायपुर के उक्त प्रदर्शनकारी जेएनयू में चलने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर नकाबपोश गुंडों के द्वारा किए गए हमले को संविधान और लोकतंत्र पर हमला मानते हैं। दिल्ली और देशभर में चल रहे प्रदर्शन में से सरकार ने अब तक कोई बात नहीं की है। लोगों ने मांग की है कि एनआरसी व सीएए कानून वापस लिया जाए। यह आंदोलन गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन की तर्ज पर लगातार जारी रहेगा।