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डेथ वॉरंट लेते हुए लड़खड़ाए पैर, पर नहीं दिखा पश्चाताप: निर्भया रेप केस

 
नई दिल्ली

आतंकवादी अफजल की तरह निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों के शव तिहाड़ जेल में नहीं दफनाए जाएंगे, बल्कि इनके शव परिजनों को सौंपे जाएंगे। चारों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे एक साथ तिहाड़ की जेल नंबर-3 में एक साथ फांसी पर लटकाया जाएगा। इसके लिए यूपी के जेल विभाग की ओर से तिहाड़ में जल्लाद भेजे जाने के लिए हामी भर दी गई है। तिहाड़ जेल ने यूपी से दो जल्लाद मांगे हैं। कानपुर में रहने वाला जल्लाद बूढ़ा हो गया है, इसलिए उम्मीद है कि मेरठ वाला जल्लाद ही इन चारों को फांसी पर लटकाएगा।

डेथ वॉरंट सबंधित पत्राचार लाल रंग से
तिहाड़ जेल अधिकारियों की ओर से यह भी पता लगा है कि इनके नाम डेथ वॉरंट जारी होते ही अब इनसे संबंधित जो भी पत्राचार होगा। वह सब लाल रंग के लिफाफे में होगा। यह इसलिए किया जाएगा, ताकि इनसे संबंधित जो भी फाइलें या अन्य सरकारी पत्रों के आदान-प्रदान हों। लाल रंग देखते ही सब समझ जाएं कि इसमें किसी भी तरह की कोई कोताही या देरी नहीं करनी है। जेल सूत्रों का कहना है कि चारों को तिहाड़ की जेल नंबर-3 में फांसी पर लटकाया जाएगा। मंगलवार को कोर्ट द्वारा इन चारों के नाम जो डेथ वॉरंट जारी किए गए थे। वह बुधवार सुबह इन्हें दे दिए गए। इस दौरान इनके पैर लड़खड़ाए जरूर, लेकिन इनमें से किसी ने भी अपने गुनाह पर कोई पश्चाताप नहीं जताया है।
 
22 जनवरी की सुबह फांसी के लिए तय तारीख
जेल अधिकारियों का कहना है कि 22 जनवरी की सुबह इन्हें फांसी पर लटकाया जाएगा। इससे पहले अगर यह क्यूरेटिव या फिर राष्ट्रपति के नाम दया याचिका देते हैं, तो उस वक्त तक इनकी फांसी विचाराधीन रखी जाएगी। जब तक की इनके बारे में अंतिम फैसला नहीं हो जाता। लेकिन अब उस स्थिति में अगर इनकी दया याचिका खारिज होती है, तो 14 दिन का समय और दिया जाना शायद मुश्किल हो। क्योंकि, इससे पहले इन्हें नोटिस देकर समय दिया जा चुका है और फिर मंगलवार को डेथ वॉरंट जारी होने के बाद भी इन्हें 14 दिन का पर्याप्त समय दिया जा रहा है।
 
चारों के बिहेवियर स्टडी भी शुरू कर दी गई
जेल सूत्रों ने यह भी बताया है कि मंगलवार रात से ही इनकी बिहेवियर स्टडी भी शुरू कर दी गई है। इसके लिए सायकायट्रिस्ट को लगाया गया है, जो इनकी दिन-प्रतिदिन बदलती मनोदशा पर नजर रखते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। इसमें इनके मानसिक संतुलन के बारे में भी पता लगाया जाएगा। फांसी पर लटकाने से पहले यह रिपोर्ट पेश की जाएगी। जेल अधिकारियों का कहना है कि फांसी पर लटकाते वक्त इनके परिवार का कोई भी सदस्य वहां उपस्थित नहीं होगा।
 
देश में 2 जल्लाद, दोनों ही यूपी से
आधिकारिक तौर पर देश में दो ही जीवित जल्लाद हैं। दोनों यूपी के ही रहनेवाले हैं। इनमें से एक मेरठ निवासी पवन कुमार हैं, जो निर्भया के गुनाहगारों को फांसी पर लटकाएंगे। दूसरे का नाम इलियास उर्फ अली है, जो लखनऊ के रहने वाले हैं। इन दोनों के अलावा फिलहाल देश में कोई भी पेशेवर जल्लाद नहीं है। इससे पहले देश में जितनी भी फांसी हुईं वो पवन के दादा कालू जल्लाद, पिता मामू जल्लाद, पंजाब के फकीरा जल्लाद या फिर कोलकाता के नाटा जल्लाद ने दीं। इनमें से अब कोई भी जिंदा नहीं है। पवन के परिवार में चार पीढ़ियों से जल्लाद का काम होता आ रहा है। जल्लाद की पारिवारिक विरासत को निभाने वाले पवन परिवार की चौथी पीढ़ी हैं।

निर्भया के गुनहगारों को पवन देंगे फांसी
निर्भया के चारों गुनाहगारों को मेरठ के पवन जल्लाद ही फांसी पर लटकाएंगे। यूपी के जेल राज्य मंत्री जय कुमार सिंह ने कहा है तिहाड़ जेल प्रशासन ने उनसे जल्लाद की मांग की थी। उनकी अर्जी को स्वीकार कर लिया गया है। अब करीब 15 साल बाद यह पहला मौका होगा, जब कोई पेशेवर जल्लाद फांसी देगा। इन 15 साल में तीन अहम फांसी किसी जल्लाद ने नहीं, बल्कि जेल के कर्मचारियों ने ही दी थीं।
 
धनंजय चटर्जी को फांसी पेशेवर जल्लाद ने दी थी
14 अगस्त 2004 को कोलकाता, अलीपुर सेंट्रल जेल में एक नाबालिग स्कूली बच्ची के साथ रेप के मामले में दोषी धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी। वो फांसी एक पेशेवर जल्लाद नाटा मलिक ने दी थी। 15 साल पहले हुई ये फांसी किसी जल्लाद के हाथों दी जाने वाली आखिरी फांसी थी। उसके बाद से आज तक आखिरी तीन फांसी जो हुईं, उनमें किसी पेशेवर जल्लाद की मदद नहीं ली गई। हालांकि बगैर जल्लाद की दी जाने वाली इन तीनों फांसी में एक बात समान थी कि फांसी पर चढ़ाए जाने वाले तीनों गुनहगार आतंकवादी मामलों में शामिल थे।

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