नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों की पहचानकर उनसे जुर्माना वसूलने का फैसला किया है। किसी राज्य सरकार का प्रदर्शनकारियों से जुर्माना वसूलने के इस फैसले पर इन दिनों जमकर बहस हो रही है। इससे पहले डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों ने जब सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाई थी तब भी प्रदर्शनकारियों से जुर्माना वसूला गया था। पंजाब सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का हर्जाना वसूल किया था।
योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले की समीक्षा कोर्ट को करनी है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने पिछले पांच साल में हुए ऐसे प्रदर्शनों की डिटेल रिपोर्ट तैयार की है। देश के अलग-अलग राज्यों में इन प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और बिना किसी कार्रवाई के बच निकले।
CAA हिंसा में राज्यवार संपत्ति को पहुंचा नुकसान
हरियाणा: 2016 में हरियाणा में जाट आरक्षण विवाद को लेकर जमकर हंगामा किया गया था। हिंसक प्रदर्शनों में करीब 30 लोगों की जान चली गई। इन प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति को आगजनी और तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचाया गया। एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अनुमानित तौर पर 1800 से 2000 करोड़ तक का सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। इन प्रदर्शनों में 2100 एफआईआर दर्ज की गई और सौ से अधिक लोगों को अरेस्ट किया गया। उस वक्त की हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कहा था कि संपत्ति के नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से की जाएगी, लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं।
पंचकूला में राम रहीम के समर्थकों कई गाड़ियों में लगाई थी आग
अगस्त 2017 में डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों ने हरियाणा में काफी उपद्रव मचाया था। स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा के चीफ गुरमीत राम रहीम को 2 महिलाओं के साथ रेप का दोषी करार दिया था। समर्थकों ने कोर्ट फैसले के विरोध में बड़े पैमाने पर हिंसा की और सिर्फ पंचकूला में ही 126 करोड़ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। उस वक्त कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि डेरा सच्चा सौदा की संपत्ति को समर्थकों के उपद्रव में हुए नुकसान की भरपाई करने तक सील कर दिया जाए। फिलहाल केस जारी है।
दिल्ली : 22 अगस्त 2019 को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद के समर्थन में दलितों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में 14 कार अकेले गोविंदपुरी में जला दी गईं। पिछले साल नवंबर में तीस हजारी कोर्ट में 13 पुलिस की गाड़ियों को वकीलों ने आग लगा दी। वकीलों और पुलिस के बीच पार्किंग को लेकर शुरू हुए विवाद में जमकर तोड़फोड़ की गई। इसी तरह की हिंसा साकेत कोर्ट परिसर में भी की गई, लेकिन अभी तक इन मामलों में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
नागरिकता कानून के विरोध में जामिया नगर और मथुरा रोड में हुए प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई कि प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है, उसका आकलन किया जाए।
गुजरात : गुजरात में 2015 में पाटीदार कोटा आंदोलन में भीड़ ने 660 सरकारी वाहनों और 1,822 सार्वजनिक इमारतों को सिर्फ 3 दिन में नुकसान पहुंचाया गया। पाटीदारों के प्रदर्शन के ठीक एक सप्ताह बाद कोर्ट में प्रदर्शन में हुए नुकसान के आकलन के लिए याचिका डाली गई थी। हालांकि, यह याचिका दो सप्ताह में ही वापस भी ले ली गई।
पश्चिम बंगाल : रेलवे का अनुमान है कि अकेले बंगाल में नागरिकता कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में 80 करोड़ का नुकसान हुआ है। चार दिन में ही रेलवे की संपत्ति को प्रदर्शनकारियों ने 80 करोड़ तक नुकसान पहुंचाया। पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार, इस केस में अब तक 64 एफआईआर दर्ज की गई है और 931 लोगों को अरेस्ट किया गया। कलकत्ता हाई कोर्ट इस मामले में 6 जनहित याचिका पर भी सुनवाई कर रही है।