कोटा
राजस्थान में कोटा के बच्चों के अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में अशोक गहलोत सरकार की ओर से गठित जांच कमेटी ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दिया है. जांच कमेटी ने इलाज में कोई खामी नहीं पाई है.
हालांकि जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह बात जरूर कही है कि आईसीयू में सिलेंडर ले जाया जाता है, जबकि ऑक्सीजन का पाइप लाइन होना चाहिए. सिलेंडर ले जाए जाने से संक्रमण का खतरा बढ़ता है.
डॉक्टरों की कमेटी ने कहा है कि 10 में से 5 बच्चे एक माह से छोटे थे और भारी सर्दी में इनके परिजन जीप में रख कर दूसरे अस्पताल से रेफर कराकर सरकारी अस्पताल में लेकर आए थे. इनका इंफेक्शन से गला अवरुद्ध हो गया था और सांस थमने के हालात हो गए थे. ऐसे में मेडिकल रीजन से मृत्यु हुई है. बच्चों को जो संक्रमण था उसका इलाज डॉक्टरों ने सही दिया है और लापरवाही नहीं बरती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 53 बेड पर 70 बच्चों से ज्यादा को आईसीयू में रखकर इलाज किया जा रहा है. इससे संक्रमण फैलने का खतरा है. न्यू नेटल आईसीयू में भी संक्रमण मुक्ति के उपाय पूरी तरह से नहीं है.
कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के दो विशेषज्ञ डॉक्टर एडिशनल प्रिंसिपल डॉक्टर अमरजीत मेहता और शिशु रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर रामबाबू शर्मा की कमेटी गठित की गई थी.