नई दिल्ली
दिल्ली और उत्तर भारत में शीत लहर के चलते विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपने बाहर के कार्यक्रम टाल दिए। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने जनवरी के अंत तक अपने सार्वजनिक कार्यक्रम टाल दिए हैं क्योंकि कार्यक्रम के लिए उन्हें बाहर जाना होगा। वह बाहर के किसी कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहे हैं, इसलिए वह उपराष्ट्रपति भवन में ही कुछ कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री जो औसतन हर दिन 3 कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, उन्होंने अपनी आऊटिंग पर रोक लगा दी है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती कार्यक्रम में एक शाल और मफलर में पूरी तरह से ढके हुए थे और अगले दिन उन्हें एक ओवर कोट में देखा गया था।
वहीं ए.आई.सी.सी. महासचिव के.सी. वेणुगोपाल को जमीनी हालात का अंदाजा नहीं था कि राजघाट पर क्या होगा जब नेता नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.) और एन.आर.सी. पर मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने जाएंगे। कुछ दिन पहले राजघाट पर धरने पर बैठे कांग्रेस नेताओं की स्थिति सबसे खराब रही।
वेणुगोपाल ने विरोध का समय दोपहर 3 बजे से रात 8 बजे तक निर्धारित किया, क्योंकि कमलनाथ सहित कुछ मुख्यमंत्रियों ने कहा कि वे दोपहर 2 बजे के आसपास ही दिल्ली आ पाएंगे, इस पर उन्होंने फैसला किया कि कम से कम 3 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वी. नारायणसामी तो होने चाहिएं, चूंकि भूपेश बघेल और कैप्टन अमरेन्द्र सिंह नहीं गए। इस दौरान वह यह भूल गए कि 80 वर्षीय नेता इतनी ठंड में बैठने के लिए मजबूर होंगे। जिसके चलते ठंड में नेताओं ने धरने को 40 मिनट में ही छोड़ दिया।
सबसे पहले डॉ. मनमोहन सिंह ने धरने को छोड़ा जो कांप रहे थे। इसके बाद डॉक्टरों ने सोनिया गांधी को बिना किसी देरी के धरना छोडऩे की सलाह दी क्योंकि वह एक गंभीर अस्थमा रोगी हैं, फिर ए.के. एंटनी चले गए और यह सिलसिला जारी रहा। अंत में राहुल गांधी, प्रियंका व अहमद पटेल और युवा ब्रिगेड को छोड़कर कोई नहीं बचा। इसके बाद राहुल गांधी को छोड़कर कोई भी वरिष्ठ नेता प्रदर्शन के लिए बाहर नहीं निकला।