नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश में जोरदार हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. कई राज्य हिंसा की आग में सुलग रहे हैं. हुड़दंग और उपद्रवी सरकारी वाहनों में आग लगा रहे हैं और सार्वजनिक व प्राइवेट संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं. हुड़दंगियों और उपद्रवियों ने कई पुलिस थानों में भी आग लगा दी है. प्रदर्शन की आड़ में हुड़दंग और उपद्रवी हिंसा, दंगा और बलवा कर रहे हैं. पुलिसकर्मियों पर पथराव कर रहे हैं और कानून को हाथ में ले रहे हैं, जो गैरकानूनी और अपराध है. हिंसक विरोध प्रदर्शन से न सिर्फ कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है, बल्कि दूसरे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन हो रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट जितेंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि हिंदुस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का सभी को अधिकार है, लेकिन हिंसा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की किसी को भी इजाजत नहीं है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की सर्वोच्च अदालत भी साफ कह चुकी है कि बंद, हड़ताल, विरोध प्रदर्शन, मार्च या किसी भी तरह के आंदोलन के दौरान हिंसा करने और सार्वजनिक व प्राइवेट संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की छूट नहीं है.
इन री: डिस्ट्रक्शन ऑफ पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टीज बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में 16 अप्रैल 2009 को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की थी. इसमें शीर्ष कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर कोई किसी हड़ताल, बंद या विरोध प्रदर्शन के दौरान पब्लिक या प्राइवेट प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाता है, तो उस नुकसान की भरपाई, उस व्यक्ति या संगठन से की जाएगी, जिसने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट जितेंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि अगर कोई सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो पीडीपीपी एक्ट यानी प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है. इसमें 6 महीने से लेकर 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा हिंसा, दंगा, आगजनी और बलवा करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट में हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दंड देने का प्रावधान किया गया है, लेकिन संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करने का कोई प्रावधान नहीं दिया गया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में संसद से कानून बनाने को कह चुका है. लेकिन जब तक संसद इस संबंध में कानून नहीं बना देती है, तब तक सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों से उसकी भरपाई की जाएगी.
उपद्रवी आपकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएं, तो ऐसे लें मुआवजा
इसके अलावा अगर किसी की प्राइवेट संपत्ति को विरोध प्रदर्शन के दौरान नुकसान पहुंचाया गया है, तो पीड़ित पक्ष उसके लिए व्यक्तिगत तौर पर सिविल या क्रिमिनल केस ला सकता है. अगर पीड़ित व्यक्ति सिविल केस लाता है, तो कोर्ट उसको मुआवजा दिलाता है. आपको बता दें कि 19 दिसंबर को नागरिकता कानून के खिलाफ शुरू हुआ बवाल अभी तक थमा नहीं हैं. दिल्ली, असम, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. पब्लिक और प्राइवेट वाहनों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. पुलिस थानों में आग लगाई जा रही है. इस हिंसक प्रदर्शन में कई लोगों की जान भी चली गई है और कई लोग घायल भी हुए हैं.