रायपुर। आज हर इंसान कहता है वक्त नहीं हैं, लेकिन जिसने इस दुनिया में भेजा है उसके पास हर पल का लेखा-जोखा तैयार हो रहा है। जिंदगी छोटी है यह भी सच है, कल का क्या भरोसा? लेकिन इंसान भी गजब का है अगले दस साल की प्लानिंग कर चलता है। एक-एक पल अनमोल है, कब सांस टूट जाए पता नहीं। कथा में आओ न आओ लेकिन मौत के लिए तो समय निकालोगे। इसलिए उनके लिए कुछ वक्त निकालोगे तो निश्चित मानो समय पड?े पर वे भी आपके लिए समय निकालेंगे। जीवन का हर क्षण अंतिम है जान लो।
पूरा जीवन दुकान, मकान, मंै, मेरा परिवार के झंझटों में उलझा रहता है। इसीलिए श्रीमद्भागवत कथा में कहा गया है कि अपनी शक्ति, ऊर्जा, यौवन संसार को दे दो और मन बांकेबिहारी को तो दुनिया से मुक्ति मिल जायेगी। इसलिए मन की स्तुति को बदलो। उन्होंने कहा कि धर्म जगत में जितने भी योग, यज्ञ, तप, अनुष्ठान हो रहे हैं उन सबका एक ही लक्ष्य है कि हमारी भक्ति भगवान में लगी रहे। भागवत कथा श्रवण से भक्त के हृदय में ऐेसी भावनाएं समाहित हो जाते हैं कि मन, वाणी, कर्म सब प्रभु में लीन हो जाता है। श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से व्यक्ति की भगवान में तन्मयता हो जाती है।
माहेश्वरी भवन, कमल विहार में श्रीमद्भागवत कथा प्रसंग पर कथावाचक गौरव कृष्ण गोस्वामी ने धुंधकारी के प्रसंग व समाज को जोड़कर बड़ी ही तार्किक बातें कही। धुंधकारी का संस्कार गलत था इसलिए उसकी दुर्गति हुई लेकिन मुक्ति मिली तो श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से। गलत कामों के कारण उसे प्रेत योनि तक में भटकना पड़ा था। संतान संस्कार वाला होना चाहिए, समाज सुधारने से पहले अपना घर-अपना परिवार व अपने को सुधारें तो समाज सुधर जायेगा। आज बेटियां हर क्षेत्र में नाम रौशन कर रही हैं फिर भी बेटों व बेटियों में क्यों फर्क किया जा रहा है। देश में आज पाश्विक घटनाएं लगातार हो रही है इसके क्या कारण हैं, बचपन से उन्हे संस्कार नहीं मिला। जब तक बदलाव नहीं लाएंगे ऐसी घटनाओं से देश का नाम खराब होते रहेगा। जन जागृति जरूरी है। वे तो हर मां-बाप से कहते हैं व्यापार-व्यवहार देकर भले ही आप न जायें लेकिन बच्चों को अच्छे संस्कार देकर जरूर जाना। बुराई समाज में नहीं अपने अंदर झांको तो समाज खुद ब खुद सुधर जायेगा।
सत्य व्यापक होता है,सत्य सर्वत्र होता है, सत्य की चाह सबको होती है। पिता पुत्र, भाई भाई से और यहां तक कि चोरी करने वाला चोर भी आपस में सत्य की चेष्टा करते हैं। परम सत्य जीवन का यही है कि अपने ईष्ट से प्रगाढ़ प्रेम हो जाए और यही परम धर्म भी है। सत्य ही राम, सत्य ही शिव और सत्य ही दुर्गे है इसलिए कथा श्रवण करने वाला भी सत्य को अपनाता है और सत्य में रम जाता है। ध्रुव चरित्र पर भी उन्होंने कथा श्रवण कराया। कल कथा स्थल पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा। कथा का समय रोजाना दोपहर 3 बजे से शाम के 7 बजे तक है।