छत्तीसगढ़

आचार-विचार एवं संस्कार के साथ कार्य करने वालों का समाज में बनता है विशेष स्थान – राज्यपाल

रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा है कि आचार-विचार एवं संस्कार के साथ कार्य करने वाला व्यक्ति समाज में अपना विशेष स्थान बनाता है। इसके साथ ही मानवीय संवेदना की भावना को लेकर कार्य करने वाले लोग अमर हो जाते हैं और लोग उन्हें याद करते हैं। राज्यपाल सुश्री उइके ने यह विचार आज यहां राजभवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वारा सभी के लिए विकास विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किए। इस अवसर पर अहिंसा विश्व भारती संस्था के संस्थापक आचार्य डॉ. लोकेशमुनि ने 150 करोड़ रूपए की लागत से विश्व शांति केन्द्र स्थापित कराने की घोषणा की।
राज्यपाल ने कहा कि शांतिदूत आचार्य लोकेशजी के मार्गदर्शन मे अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन सभी के लिए विकास राष्ट्र को एक नई दिशा दिखाएगा। इन सम्मेलनों के माध्यम से महात्मा गांधी की शिक्षाएं जन जन तक प्रसारित होंगी। यह न केवल एक ऐतिहासिक कदम है बल्कि राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि धर्म को समाज सेवा से जोड़कर उसे सामाजिक बुराईयों को मिटाने का माध्यम बनाना चाहिए तथा इसके साथ ही धर्म को अध्यात्म से जोड?ा चाहिए। अहिंसा विश्व भारती संस्था भारत में ही नहीं अपितु विश्व में अहिंसा, शांति व सद्भावना की स्थापना, मानवीय मूल्यों के उत्थान, राष्ट्रीय चरित्र निर्माण के निरंतर प्रयत्नशील है। यह संस्था समाज में नशाखोरी, कन्याभ्रूण हत्या, पर्यावरण प्रदूषण आदि सामाजिक बुराईयों के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन चला रही है, उसकी जितनी सराहना की जाए वो कम है।
सुश्री उइके ने कहा कि हमारे देश में अनेक महापुरुषों ने भगवान महावीर, भगवान बुद्ध, महात्मा गाँधी आदि ने अहिंसा पर बहुत बल दिया। इन तीनों युग पुरुषों ने अहिंसा के महत्व को समझा, इसकी राह पर चले और अनुभवों के आधार पर दूसरों को भी इस राह पर चलने को कहा। भगवान महावीर और बुद्ध के इन्ही सिद्धांतों को महात्मा गांधी ने आगे बढ़ाया। महात्मा गांधी ने कहा था कि सिर्फ कर्म से ही नहीं, मन और वचन से भी हिंसा करने की कोशिश न करें। गांधी जी ने सत्याग्रह और अहिंसा के बल पर भारत को अंग्रेजों से आजाद कराया था। सत्य और अहिंसा के शस्त्र का प्रयोग करके महात्मा गांधी ने जैनत्व को भी अभिनव ऊँचाई दी है।
आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने छत्तीसगढ़ के सामाजिक सद्भाव और यहां के पर्यावरण की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसी योजना तैयार की जाए, जिससे कोई व्यक्ति शिक्षा एवं चिकित्सा से वंचित न रहने पाए तथा आजीविका के संसाधन भी उन्हें संतुलित ढंग से मिल सके। ऐसा करके ही हम महात्मा गांधी के स्वस्थ समाज संरचना के स्वप्न को साकार कर सकते हैं। डॉ. लोकेश मुनि ने कहा कि जीवन में नैतिक एवं चारित्रिक मूल्य की आवश्यकता है। युद्ध तो बाद में होता है, उससे पहले विचार मस्तिष्क में पैदा होता है। उन्होंने संतुलित शिक्षा की आवश्यकता व्यक्त करते हुए कहा कि आज मानवीय एवं भावनात्मक मूल्यों पर आधारित शिक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने समाज के संतुलित विकास पर जोर देते हुए कहा कि अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को पाटने की आवश्यकता है। डॉ. लोकेश मुनि ने कहा कि विश्व शांति केन्द्र स्थापित किया जाएगा, जिससे महात्मा गांधी के अहिंसा के संदेशों को का प्रचार-प्रसार होगा। उन्होंने अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों में सभी को अपना योगदान देने का आह्वान किया।
लोक निर्माण, गृह, जेल, धर्मस्व एवं पर्यटन मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि यह कार्यक्रम आज की आवश्यकता है और यह राष्ट्र को नई दिशा देने का एक अच्छा प्रयास है। उन्होंने कहा कि हम बड़े-बड़े स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं, लेकिन सबसे जरूरी संस्कार का होना है। आज डिग्री की उपयोगिता केवल नौकरी तक सीमित है। उन्होंने पालकों से आह्वान किया कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ संस्कार भी सिखाएं। श्री साहू ने परिवार में पुत्रों को नैतिक शिक्षा एवं अनुशासन की सीख देने पर जोर दिया। स्वामी दीपांकर ने कहा कि बर्तन सबका अलग-अलग, पानी एक है। जो हर अवस्था तक मिले, वही व्यवस्था है। उन्होंने हिंसा पर अहिंसा की जीत पर जोर डाला। गुरूद्वारा बंगला साहिब दिल्ली के अध्यक्ष श्री परमजीत सिंह चंढोक ने देश के विकास के लिए एकजुटता पर जोर दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री उइके ने अहिंसा विश्व भारती पत्रिका आह्वान विमोचन किया। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया। इस मौके पर विधायक श्री कुलदीप जुनेजा, छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री महेन्द्र छाबड़ा, राज्यपाल के सचिव श्री सोनमणि बोरा और विभिन्न समाज के प्रबुद्धजन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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