मुंबई
बेमौसम बारिश की मार से पीड़ित किसानों को प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये की मदद देना उद्धव ठाकरे सरकार के लिए लोहे के चने चबाने से कम नहीं है। सवाल है कि सरकार यह रकम लाएगी कहां से? वैसे राज्य की माली हालत को देखते हुए ठाकरे सरकार ने किसानों की मदद की गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र से 14,600 करोड़ रुपये की मांग की है।
इस साल सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में बेमौसम बारिश हुई थी। इससे करीब 94,53,139 हेक्टेयर की फसलों को नुकसान हुआ है। सरकार अगर प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये देगी तो सरकार को करीब 23,600 करोड़ रुपये चाहिए। यदि किसानों को इतनी मदद दी गई तो करीब सात महीने तक सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोकना पड़ेगा।
बीजेपी ने रखा था 10,000 रुपये का प्रस्ताव
80 घंटे के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने बेमौसम बारिश की मार झेल रहे किसानों की मदद के लिए 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर देने का प्रस्ताव मुख्य सचिव अजोय मेहता के सामने रखा थाय़ इस पर मेहता ने फडणवीस को बताया था कि अगर किसानों को 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मदद दी गई तो अगले तीन महीने तक सरकारी बाबुओं का वेतन रोकना पड़ेगा। इससे राज्य की बदनामी होगी और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतन रोकना पड़ा हो। इस पर फडणवीस ने अपने कदम पीछे खींच लिए।
फडणवीस ने किसानों के लिए 5,380 करोड़ का आर्थिक पैकेज घोषित किया था। बीजेपी नेताओं को यह बात पता है कि राज्य की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि किसानों को प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा सके। ऐसे में बीजेपी बार-बार मुख्यमंत्री को उकसा रही है कि वे 25,000 रुपये किसानों को मदद देने की घोषणा करें।
सीएम उद्धव ठाकरे ने केंद्र के पाले में डाली गेंद
किसानों की मदद के लिए ठाकरे सरकार ने केंद्र सरकार से 14,600 करोड़ रुपये की मांग की है। मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि केंद्र की मदद से वह किसानों की मदद करेंगे। राज्य के वित्त मंत्री जयंत पाटील ने विधानसभा में भी यही बात रखी। उन्होंने विपक्ष के सामने प्रस्ताव भी रखा कि केंद्र की मोदी सरकार से किसानों की मदद राशि दिलाने में वे भी दिल्ली चलें। यानी ठाकरे सरकार ने किसानों की मदद का मसला केंद्र के पाले में डाल दिया है।