अहमदाबाद
नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध की आवाजें देश के दूसरे शिक्षण संस्थानों में भी फैल चुकी हैं। कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़पों के विरोध में देश भर के 36 छोटे-बड़े शिक्षण संस्थानों में प्रदर्शन हुए। हिरासत में लिए गए 53 प्रदर्शनकारियों में से एक आईआईएम अहमदाबाद के प्रफेसर भी हैं।
ये प्रदर्शन केवल आईआईटी-बॉम्बे, आईआईटी मद्रास, जाधवपुर यूनिवर्सिटी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के अलावा सिलीगुड़ी, नॉर्थ बंगाल और कोच्चि जैसे दूर दराज के शिक्षण संस्थानों में भी हुए। इन संस्थानों के छात्रों ने जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी समेत दूसरी जगहों पर प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस कार्रवाई का विरोध किया।
परीक्षाओं और कक्षाओं का बहिष्कार
इन संस्थानों में छात्रों ने परीक्षाओं और कक्षाओं का बहिष्कार किया, सरकार को खुले खत लिखे और आधी रात को जुलूस निकाला। आईआईएम अहमदाबाद समेत सभी मुख्य आईआईएम और आईआईटी कॉलेजों के 1053 अध्यापकों ने एक खुले खत पर साइन करके कहा, 'यह कानून भारतीय संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है। यह कानून के सामने समानता और धर्मनिरपेक्षता जैसे मूल्यों से मेल नहीं खाता।'
आम चुनावों की वैधता पर भी सवाल उठाए
कोलकाता में, प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी में छात्र संघ ने सरकार में प्रमुख लोगोंं के पुतले जलाए और जादवपुर विश्वविद्यालय के सैकड़ों लोगों ने कथित पुलिस बर्बरता के खिलाफ नारे लगाए। फैकल्टी ऑफ आर्ट्स स्टूडेंट्स के महासचिव देबराज देबनाथ ने कहा, 'अगर सरकार हमारी नागरिकता पर सवाल उठा रही है, तो हम पिछले दो आम चुनावों की वैधता पर भी सवाल उठाना चाहते हैं।'