भोपाल
छतरपुर जिले की बंदर हीरा खदान बिरला ग्रुप के एस्सेल माइनिंग को मिल गई है। खदान का ठेका तय होने के उपरांत राज्य सरकार इस खदान को एक साल में चालू कराकर उससे रायल्टी की राशि वसूलने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए खनिज विभाग अपनी दस्तावेजी प्रक्रियाओं को जल्द पूरा करेगा और ठेका पाने वाली कम्पनी को आधिपत्य देगा।
बंदर हीरा खदान के लिए राज्य सरकार ने आफसेट प्राइज 60 हजार करोड़ तय की है और इसके लिए बुलाई गई बिड में पांच कम्पनियां शामिल हुई थीं। इनके लिए 11 हजार करोड़ रुपए का टर्नओवर अनिवार्य किया गया था। कल हुई आनलाइन नीलामी में अडानी, रूंगटा और बिरला ग्रुप ने बोली लगाई और 11 घंटे चली बोली में अंतत: बिरला के एस्सेल माइनिंग ग्रुप को ठेका मिलना तय हुआ। राज्य सरकार ने आफसेट प्राइज के आधार पर बेस रायल्टी 11.50 प्रतिशत तय की थी। इस सरकारी बोली से आगे चलकर 30.5 प्रतिशत पर बोली खत्म हुई जो कुल मिलाकर 41.55 प्रतिशत रही। इससे राज्य सरकार को करीब 23 हजार करोड़ रुपए रायल्टी के रूप में मिलेंगे जो सरकारी बोली के राजस्व का चार गुना होगा। सरकार एक साल में यह राजस्व हासिल करने की कोशिश करेगी।
प्रदेश में रेत खदानों की नीलामी के बाद खनिज विभाग के मंत्री, प्रमुख सचिव और पर्यावरण विभाग के अफसरों की मौजूदगी में रेत ठेकेदारों ने कहा है कि उन्हें रेत खदानें नपती कराकर सौंपी जाएं। साथ ही उनके द्वारा रेत के अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई करने के सुझाव भी दिए गए हैं। रेत नाके लगाने का भी सुझाव है जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है। ठेकेदारों ने पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए सरकार से मदद मांगी है जिस पर पर्यावरण विभाग के अधिकारी अपने स्तर पर फैसला लेंगे।