मध्य प्रदेश

MLA प्रहलाद लोधी की सदस्यता बहाल, स्पीकर ने दी जानकारी

भोपाल
मप्र विधानसभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सोमवार को पवई सेभाजपा के विधायक प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता बहाल कर दी है। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पूर्व में उनकी सदस्यता निरस्त करने संबंधी अधिसूचना को अब निरस्त कर दिया गया है। उसके स्थान पर बहाली की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इससे भाजपा खेमे को बड़ी राहत मिली है।

इस मामले को लेकर सोमवार को नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में घटनाक्रम चला। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से मिलने के लिये गोटेगांव पहुंचे। यहां उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के साथ प्रहलाद लोधी की सदस्यता बहाली को लेकर लंबी चर्चा की। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष ने अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। इस बीच विधानसभा सचिवालय को प्रदेश के महाधिवक्ता की भी राय मिल गई थी, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर भाजपा विधायक की सदस्यता बहाली की विधि सम्मत बताया था। महाधिवक्ता की राय के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा सदस्यता बहाली को लेकर सहमति दे दी थी। इस बात की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष ने गोटेगांव में बाकायदा पत्रकार वार्ता बुलाकर की। इधर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पवई के भाजपा विधायक की सदस्यता बहाली की घोषणा के बाद विधानसभा सचिवालय सक्रिय हुआ और सदस्यता बहाली को लेकर नई अधिसूचना जारी की गई। वहीं पहले सदस्यता निरस्त करने संबंधी सभी अधिसूचनाओं को निरस्त कर दिया गया। इस तरह अब लोधी की सदस्यता बहाल हो गई। अब प्रहलाद लोधी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बाकी अन्य सदस्यों की तरह सदन की बैठकों में शामिल हो सकेंगे और विधायी कार्य में हिस्सा में ले सकेंगे।

क्या था घटनाक्रम

स्पेशल कोर्ट ने 30 अक्टूबर को एक मारपीट से जुड़े मामले में पवई के भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी को दोषी ठहराते हुए दो वर्ष की सजा दे दी थी। उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने 2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए उनकी सदस्यता निरस्त कर दी थी। अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के 2013 के निर्णय का हवाला दिया था, जिसमें दो वर्ष की सजा मिलने पर जन प्रतिनिधि की सदस्यता निरस्त किये जाने पर उनको अपील में जाने के अधिकार से वंचित कर दिया था। पवई विधायक ने स्पेशल कोर्ट के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के आदेश को तीन माह के लिये स्टे दे दिया। हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर को खारिज कर दिया और राज्य सरकार के तर्क से असहमति जताते हुए हाईकोर्ट के निर्णय को जायज ठहराया, जिसमें लोधी को सजा के खिलाफ स्टे दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद विस अध्यक्ष ने प्रदेश के महाधिवक्ता से राय मांगी। महाधिवक्ता ने भी सदस्यता बहाली की ही सिफारिश की। इस पर अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के मिलने के बाद सदस्यता बहाली की घोषणा कर दी।

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