लखनऊ
बसपा सुप्रीमो मायावती ने बृहस्पतिवार को कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक विभाजनकारी और असंवैधानिक है। मायावती ने यहां एक बयान में कहा, 'केन्द्र सरकार द्वारा काफी जल्दबाजी में लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह विभाजनकारी और असंवैधानिक विधेयक है अर्थात इसके जरिये धर्म के आधार पर नागरिकता देना तथा इस आधार पर नागरिकों में भेदभाव पैदा करना परमपूज्य डॉ. भीमराव आंबेडकर के मानवतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष संविधान की मंशा एवं बुनियादी ढांचे के एकदम विरुद्ध कदम है।'
उन्होंने कहा कि नोटबन्दी और जीएसटी की तरह ही इस नागरिकता संशोधन विधेयक को देश पर जबर्दस्ती थोपने की बजाय केन्द्र सरकार को पुनर्विचार करना चाहिये और बेहतर विचार-विमर्श के लिए इसे संसदीय समिति के पास भेजना चाहिये ताकि यह विधेयक संवैधानिक रूप में देश की जनता के सामने आ सके।
मायावती ने कहा, 'लेकिन यहां पार्टी का यह भी कहना है कि यदि केन्द्र की सरकार देश एवं जनहित में भारतीय संविधान के मुताबिक सही एवं उचित फैसले लेती है तो फिर हमारी पार्टी दलगति राजनीति से ऊपर उठ कर सरकार का जरूर समर्थन करेगी जैसे धारा 370 के मामले में किया था।'
उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति आरक्षण को 10 वर्ष और बढ़ाने का हमारी पार्टी स्वागत करती है लेकिन इसके साथ-साथ केन्द्र सरकार से यह भी अनुरोध है कि वह केन्द्र एवं राज्य सरकारों की नौकरियों में खासकर एससी एसटी वर्ग कोटे के खाली पड़े आरक्षित पदों/ बैकलॉग को विशेष अभियान चलाकर पूरा कराये तथा निजी क्षेत्र में भी इनके लिए आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करे।