नई दिल्ली
अयोध्या फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम संस्था की ओर से आज रिव्यू पिटिशन दाखिल कर दी गई है। जमीयत-उलेमा-ए हिंद की ओर से यह रिव्यू पिटिशन फाइल की गई है। पहले ऐसी खबर थी कि बाबरी विवाद की बरसी पर 6 दिसंबर को जमीयत उलेमा-ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या मामले में फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करेगा। जमीयत की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका में फैसले में मौजूद अंतर्विरोधों को आधार बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का जिक्र भी रिव्यू पिटिशन में किया गया
हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के पास रिव्यू पिटिशन की कॉपी मौजूद है। कॉपी के अनुसार कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए मस्जिद ढहाने का जिक्र याचिका में किया गया है। याचिका में कहा गया, 'माननीय अदालत ने अपने फैसले में मस्जिद ढहाए जाने को दोषपूर्ण कृत्य करार दिया था। इसके बावजूद फैसला पूरी तरह से हिंदू पक्षकारों की ओर गया है।'
जमीयत के यूपी जनरल सेक्रेटरी ने दाखिल की याचिका
जमीयत के यूपी जनरल सेक्रटरी मौलाना अशद रशीदी की ओर से दायर की जाएगी, जो कि अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष के 10 याचिकाकर्ताओं में से एक हैं। 3 सप्ताह पहले ही सर्वोच्च अदालत से अयोध्या विवाद पर फैसला आया है। फैसले के बाद कुछ मुस्लिम संस्थाओं की ओर से अपील नहीं करने की बात कही गई थी, लेकिन आज रिव्यू पिटिशन दाखिल किया गया।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी दाखिल करेगा रिव्यू पिटिशन
इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का ऐलान किया है। बोर्ड की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दिसंबर के पहले हफ्ते में हम बाबरी मस्जिद केस में रिव्यू पिटिशन दाखिल करने जा रहे हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के अर्जी न दाखिल करने के फैसले का कानूनी तौर पर कोई असर नहीं पड़ेगा।'