बेंगलुरु/नई दिल्ली
भारत के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-2 पर देश और दुनिया की नजरें टिकी हैं। इस बीच सोमवार को इस मिशन ने एक और मील के पत्थर को पार करने में कामयाबी हासिल की है। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान सोमवार दोपहर 1.15 बजे ऑर्बिटर (कृत्रिम उपग्रह) से सफलतापूर्वक अलग हो गए। इसी के साथ मिशन अब अपने अंतिम और बेहद अहम दौर में पहुंच गया है। चंद्रमा पर लैंडिंग में अब सिर्फ चार दिन का वक्त बचा है और इसरो के साथ ही दुनियाभर के वैज्ञानिक भी इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
'इसरो के इतिहास में पहली बार'
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख के सिवन ने सोमवार को बताया, 'विक्रम लैंडर के सफलतापूर्वक अलग होने के बाद इसरो में सभी लोग काफी उत्साहित हैं। वे अब बड़े दिन की उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह इस वजह से खास है क्योंकि हम ऑर्बिटर से लैंडर और रोवर को अलग करने में सफल रहे। इसरो के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब हमने अंतरिक्ष में दो हिस्सों को अलग किया। यह बहुत कठिन था और हमने इसे काफी सतर्कता के साथ अंजाम दिया।'
'नासा के साथ पूरी दुनिया की दिलचस्पी'
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के पूर्व वैज्ञानिक डॉनल्ड ए थॉमस का कहना है, 'चंद्रयान-2 ऐसा पहला यान होगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। यह ऐसी जगह है जहां NASA पांच साल में किसी अंतरिक्ष यात्री के लैंड करने की उम्मीद करता है। केवल नासा ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया चांद पर जा रहे चंद्रयान-2 के बारे में जानने के लिए दिलचस्पी रखती है।' इस बीच NASA के वरिष्ठ वैज्ञानिक एम लिनेगर मिशन के संबंध में एक लाइव शो के लिए भारत आ रहे हैं।