बिहार के सभी शेल्टर होम की होगी ऑनलाइन निगरानी

पटना 
राज्य के सभी शेल्टर होम, दत्तक ग्रहण केंद्र आदि की अब ऑनलाइन निगरानी होगी। भारत में पहली बार किसी राज्य में समाज कल्याण से जुड़ी संस्थाओं की ऑनलाइन निगरानी एवं न्यूनतक मानकों की गुणवत्ता स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। समाज कल्याण विभाग ने इसके लिए नयी ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था विकसित की है।

इस तकनीक के तहत शेल्टर होम, दत्तक ग्रहण केंद्र व अन्य संस्थाएं, जिला प्रशासन एवं विभागीय मुख्यालय सब एक ही नेटवर्क में आ जाएंगे। शेल्टर होम से मिलनी वाली कोई भी सूचना जिला से लेकर मुख्यालय तक कोई भी पदाधिकारी या अधिकारी सीधे देख सकेगा और उस सूचना के आधार पर तत्काल कार्रवाई की जा सकेगी। अब कोई पदाधिकारी यह नहीं कह सकेगा कि उसे शेल्टर होम से संबंधित कोई सूचना नहीं थी। 

इन संस्थाओं की रेटिंग भी ऑनलाइन होगी 
विभागीय सूत्रों ने बताया कि बालक गृह, बालिका गृह, पर्यवेक्षण गृह, दत्तक ग्रहण केंद्र व अन्य केंद्रों की रेटिंग भी तकनीकी सहायता से की जाएगी। इसके लिए संस्थाओं के कार्य संचालन एवं देख-रेख के तरीके, गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं की उपलब्धता इत्यादि के आधार पर एक से पांच तक रेटिंग की जाएगी। चार या पांच स्टार रेटिंग मिलने पर कार्य संतोषजनक एवं एक से तीन स्टार मिलने पर कार्य संचालन को खराब माना जाएगा। विभाग द्वारा न्यूनतम मानकों की गुणवत्ता को स्थापित करने की तैयारी की जा रही है।  

मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड के बाद सरकार ने की तैयारी 
मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड के सामने आने के बाद राज्य सरकार ने एक पारदर्शी तंत्र विकसित करने की तैयारी की है, ताकि किसी प्रकार की चूक न हो। इसके तहत रिपोर्टिंग का पूरा तरीका ही बदल जाएगा। प्रतिदिन और 15 या 30 दिन पर होने वाली रिपोर्ट को ऑनलाइन ही दाखिल किया जाएगा। इसके लिए यूनिसेफ और राज्य बाल संरक्षण समिति द्वारा कर्मियों को प्रशिक्षित किए जाने का कार्य भी शुरू किया जा चुका है। प्रथम चरण में जिला निरीक्षण समिति के सभी सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। साथ ही संस्थाओं में कार्य करने वाले कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इनकी रिपोर्टिंग व्यवस्था को चेक भी किया गया है, ताकि कोई उसमें छेड़छाड़ की आशंका न रहे। वरीय पदाधिकारी सिर्फ टिप्पणी या कार्रवाई अंकित कर रिपोर्ट को आगे बढ़ाएंगे। बाल कल्याण समिति, जिला निरीक्षण समिति के सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत जिला पदाधिकारी, जिला सिविल सर्जन, पुलिस उपाधीक्षक, शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को भी प्रशिक्षित किया जाना है।  

तीन दिन के अंदर रिपोर्ट डालनी होगी 
इस ऑनलाइन व्यवस्था में किसी भी परिस्थिति में निगरानी समितियों को अपनी रिपोर्ट तीन दिनों के अंदर अपलोड करना अनिवार्य होगा। अगर निरीक्षण के दौरान कानून व्यवस्था के उल्लंघन से संबंधित कोई मामला सामने आता है तो 24 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज कराते हुए रिपोर्ट अपलोड करना होगा। 

कल्याण कार्यक्रमों से जुड़ी संस्थाओं की निगरानी को लेकर एक पारदर्शी व्यवस्था विकसित की जा रही है, ताकि भविष्य में किसी भी स्तर पर होने वाली चूक पर तत्काल कार्रवाई किया जा सके। पूरी व्यवस्था फूलप्रूफ हो।
-राजकुमार, निदेशक, समाज कल्याण विभाग, पटना

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