भोपाल
मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके पूरे मंत्रिमंडल ने उज्जैन में सात दिसंबर को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक वहां नहीं करने का निर्णय लिया है। दरअसल महाकाल की नगरी में केवल महाकाल ही सभी निर्णय लेते है। कुछ मंत्रियों की आपत्ति के बाद यहां कैबिनेट करने का निर्णय टाल दिया गया है। भाजपा सरकार भी भोपाल से बाहर कैबिनेट बैठकें करती रही है। कांग्रेस सरकार ने भी भोपाल के बाहर जबलपुर शहर में एक बार कैबिनेट बैठक की थी। इसमें जबलपुर शहर से जुड़े निर्णय लिए गए थे। इसके बाद उज्जैन में महाकाल मंदिर के विकास और शहर के सुनियोजित विकास से संबंधित निर्णय वहीं जाकर लेने के लिए कांग्रेस सरकार ने सात दिसंबर को उज्जैन में ही जाकर कैबिनेट बैठक करने का निर्णय लिया था।
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने अपने स्तर पर इसकी तैयारियां भी शुरू करा दी थी। उज्जैन में कै बिनेट करने का सरकार का मकसद साफ था कि जिस शहर के विकास संबंधी निर्णय लिए जाने है वे उसी शहर में मंत्रियों को उसका भ्रमण कराने के बाद वहां की मौजूदा जरूरतों को देखते हुए लिए जाएं और उसमें सबकी सहमति भी हो। सरकार उज्जैन के बाद झाबुआ में भी कैबिनेट बैठक कराने की तैयारी कर रही थी। लेकिन उज्जैन शहर में कै बिनेट बैठक को लेकर इंदौर से जुड़े एक मंत्री और दो अन्य मंत्रियों की आपत्ति के बाद उज्जैन में कैबिनेट बैठक करने का निर्णय टाल दिया गया है।
सात दिसंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक भोपाल में ही दस दिसंबर को होगी। इसी बैठक में उज्जैन में महाकाल मंदिर और शहर के सुनियोजित विकास संबंधी निर्णय कैबिनेट लेगी और अगले माह शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र के पहले इसमें आने वाले कुछ विधेयकों के मसौदों को भी मंजूरी दी जाएगी जिन पर बाद में विधानसभा में चर्चा के बाद उन्हें पारित कर लागू किया जाएगा।
पौराणिक कथाओं और सिंहासन बत्तीसी के अनुसार राजाभोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास नहीं करता है क्योंकि आज भी महाकाल ही उज्जैन के राजा है। महाकाल के उज्जैन में विराजमान होते हुए कोई और राजा मंत्री या जनप्रतिनिधि उज्जैन नगरी के भीतर रात में नहीं ठहर सकता है। यदि किसी ने यहां रात गुजारने की कोशिश की तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ती है। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जब महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद उज्जैन में एक रात रुके तो तो उनकी सरकार अगले ही दिन ध्वस्त हो गई थी।