भोपाल
राजधानी भोपाल के प्रदेश बीजेपी मुख्यालय (State BJP Headquarter) में जिला अध्यक्षों के निर्वाचन को लेकर हुई बैठक में महिला आरक्षण (Women's Reservation) की गूंज रही. पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस (Former Minister Archana Chitnis) ने भी महिलाओं की वकालत की है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का दावा करती है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि मौजूदा दौर में न ही प्रदेश अध्यक्ष और न किसी जिले की मुखिया महिला है.
फिलहाल, बीजेपी (BJP) अपने संगठन को मजबूत करने के लिए काम कर रही है और मंडल अध्यक्ष के बाद जिला अध्यक्षों के लिए रायशुमारी जारी है. जबकि जिलाध्यक्षों के बाद प्रदेश अध्यक्ष को चुना जाएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी महिलाओं को मौका देगी. बीजेपी मुख्यालय में निर्वाचन पदाधिकारियों की बैठक हुई और इस दौरान महिला आरक्षण की गूंज भी सुनाई दी. हैरानी की बात है कि महिला आरक्षण की बात को लेकर कोई भी खुलकर सामने नहीं आया है.
इस बैठक में पहुंची पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस ने कहा कि समाज महिलाओं को अवसर, सुरक्षा और सम्मान दे, बीजेपी समाज से अलग नहीं है. महिला अपना स्थान बना पाती है और देश हित में अपना योगदान भी दे सकती है. मैं बैठक में बात रखूंगी कि पार्टी की रीति नीति के अनुसार नई पीढ़ी को सामने लाए. क्षमतावान कार्यकर्ता सबको साथ लेकर काम कर सकें, उसकी बात करूंगी, उसमें महिलाएं भी शामिल हैं. हालांकि बैठक में छतरपुर से आई अर्चना सिंह ने कहा कि पहले कई बार महिलाएं जिला अध्यक्ष रह चुकी हैं. पार्टी का फैसला सही रहता है कि उसे किसे अध्यक्ष बनाना है कौन सा पद देना है.
महिलाओं को पार्टी में आरक्षण के मामले पर प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि पार्टी में पदाधिकारी और कार्यकारिणी में 33 फीसदी आरक्षण महिलाओं के लिए संवैधानिक व्यवस्था है. बीजेपी एकमात्र राजनीतिक दल है, जो महिलाओं को आरक्षण देता है. उन्होंने जिला अध्यक्षों में महिलाओं को आरक्षण दिए जाने के सवाल पर कहा कि बीजेपी का कोई भी कार्यकर्ता जिला अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष बन सकता है.
हैरत की बात है कि प्रदेश में मौजूदा दौर में एक भी महिला जिला अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष नहीं है. प्रदेश अध्यक्ष हर बार पुरुषों के खाते में जाता है. मध्य प्रदेश के विधि मंत्री पीसी शर्मा ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी नाटक करती है, वह कभी महिलाओं को आरक्षण नहीं देती. बीजेपी और आरएसएस सिर्फ दिखावे की राजनीति करती है.
दावे, वादे हर राजनीति दल की परंपरा में शामिल हैं, लेकिन इन दावों और वादों को कितना निभाया या फिर दिखावा किया जाता है. इसका जीता जागता उदाहरण बीजेपी ने पेश किया है. जी हां, या तो पार्टी में महिलाओं की कमी है या फिर बीजेपी महिलाओं को आगे लगाने में कतरा रही है. ऐसे कई सवाल हैं जिनके जबाव बीजेपी के नेताओं के पास से गोलमोल अंदाज में सामने आते हैं.