छत्तीसगढ़

शिक्षिका ने की हैवानियत की हदे पार, खाली क्लास में सीटी बजाने की छात्र को दी दर्दनाक सजा

कोटा
 शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया गया है और इनकी शिक्षा से ही छात्रों का भविष्य बनता है, लेकिन बेलगहना स्कूल में इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा विभाग और शिक्षकों की शिक्षा पर सवाल खड़े कर दिया है. मामला बेलगहना के शासकीय बालक पूर्व माध्यमिक शाला का है, जहां एक शिक्षिका ने 14 वर्षीय आठवीं कक्षा के नाबालिग छात्र को सिर्फ इसलिए डंडे से बेरहमी से पिटाई कर दिया क्योंकि उसने खाली क्लास में सीटी बजाई थी. शिक्षिका की पिटाई से छात्र के पीठ पर लोरे के निशान साफ दिख रहे हैं.

मामले में प्रभारी प्राचार्य मुड़त सिंह का कहना कि घटना के दौरान स्कूल के प्रधान पाठक कोटा मीटिंग में गये हुए थे. हाई स्कूल के प्रिंसिपल को शिकायत मिलने पर शिक्षिका को फटकार लगाते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है.

जबकि पीड़ित छात्र ने बताया कि एक छात्र बीही ले लो चिल्ला रहा था तब मैंने सीटी बजाई उस बीच एक महिला आई और मुझसे पूछा कि सीटी किसने बजाई है, तो मैंने कहा कि मैंने बजाई है. तब स्कूल की गुप्ता मेडम ने किरण मेडम से कहा कि इसे बीस लाठी (डंडा मारो) फिर किरण मेडम ने मुझे पीठ पर बीस लाठी मारा.

इस घटना का दूसरा पहलू भी बड़ा दिलचस्प है. घटना के बाद विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कोटा ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए स्कूल को हाई स्कूल के प्राचार्य पर डाल दिया. प्राचार्य ने भी इस शर्मनाक घटना पर मेडम को फटकार लगाते हुए स्पष्टीकरण मांग अपनी जवाबदेही पूरी कर, घटना से उच्च अधिकारियों को अवगत कराना जरूरी नहीं समझा.

जब पीड़ित छात्र के परिजन छात्र को लेकर स्कूल में गए तो मेडम किरण परिजनों से माफ़ी मंगती रही, लेकिन सवाल ये भी उठता है कि इस तरह बेरहमी से मारने के बाद माफी मांगने वाले किरण मेडम पर क्या कार्रवाई होती है. सवाल ये भी है कि नाबालिग ने स्कूल की खाली क्लास में सीटी बजा दी, तो मेडम ने छात्र को डांट कर समझाने के बजाय बीस डंडे मार कर सजा दी.

वहीं इस मामले में पूरा का पूरा स्कूल प्रबंधन मेडम को बचाने और छात्र के परिजनों को दबाव डालकर मामले को दबाने की फिराक में जुट गया है. देखना है कि मामले शिक्षा का अधिकार कानून और बाल सुरक्षा कानून छात्र और उसके परिजनों को न्याय दिलाने सामने आता है या फिर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है.

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