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संसद में वित्त मंत्री, विकास दर नीचे पर मंदी नहीं

नई दिल्ली
देश की आर्थिक विकास दर साढ़े छह साल के निचले स्तर पर पहुंचने, अर्थव्यवस्था से जुड़े तमाम आंकड़ों की स्थिति बदतर होने और बेरोजगारी के आंकड़े चरम पर होने के बीच वित्त मंत्री ने बुधवार को कहा कि जीडीपी दर में भले ही गिरावट आई है, लेकिन यह मंदी नहीं है। राज्यसभा में अर्थव्यवस्था पर चर्चा का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने साफ कहा, 'अगर आप अर्थव्यवस्था को विवेकपूर्ण तरीके से देख रहे हैं तो आप देख सकते हैं कि विकास दर में कमी जरूर आई है, लेकिन अभी तक मंदी का माहौल नहीं है और मंदी कभी नहीं आएगी।'

'यूपीए सरकार से बेहतर अर्थव्यवस्था की हालत'
अर्थव्यवस्था पर सरकार को नाकाम बताने के आरोपों पर वित्त मंत्री ने कहा कि देश की सकल घरेलू उत्पाद विकास दर 2009-2014 के अंत में 6.4% रही, जबकि 2014-2019 के बीच यह 7.5% पर रही थी।

'एनडीए सरकार में बढ़ा एफडीआई'
वित्त मंत्री ने कहा कि एनडीए की सरकार में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सरकार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सफलतापूर्वक महंगाई पर नियंत्रण किया है। आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने विपक्ष को याद दिलाया कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुधार परसेप्शन पर आधारित है, क्योंकि यह सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर निर्भर कर रहा है। उन्होंने कहा कि साल 2009-14 के दौरान 189.5 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया, जबकि एनडीए की सरकार में महज पांच वर्षों में 283.9 अरब डॉलर का निवेश आया।

'वॉक आउट करना विपक्ष की आदत'
चर्चा पर वित्त मंत्री के जवाब देने के दौरान कांग्रेस के वॉक आउट पर सीतारमण ने कहा, 'विपक्ष की साल 2014 से आदत बन गई है कि पहले वह चर्चा की मांग करती है और जब सरकार को जवाब देने की बारी आती है तो वह वॉक आउट कर जाती है। मैं यहां जवाब देने के लिए खड़ी होती हूं तो वह कॉमेंट करते हैं। और जब मैं जवाब देना जारी रखती हूं तो वह वॉक आउट कर जाते हैं। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।'

'अर्थव्यवस्था की हालत बेहद गंभीर'
देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीते 17 नवंबर को देश की अर्थव्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि विकास की दर पिछले 15 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है, बेरोजगारी दर 45 सालों के उच्चतम स्तर पर है, घरेलू मांग चार दशक के निचले स्तर पर है, बैंक पर बैड लोन का बोझ सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच चुका है, इलेक्ट्रिसिटी की मांग 15 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है, कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था की हालत बेहद गंभीर है। यह बात उन्होंने अंग्रेजी अखबर 'द हिंदू' में अपने एक लेख में कहा है, साथ में यह भी कहा कि यह बात मैं विपक्ष के नेता के रूप में नहीं कह रहा हूं।

'रसातल में पहुंची ग्रामीण अर्थव्यवस्था'
कांग्रेस ने बुधवार को अर्थव्यवस्था की हालत को लेकर केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अब मोदी सरकार को नींद से उठने, वास्तविक आंकड़ों पर गौर करने तथा समस्याओं को दूर करने का सही वक्त आ गया है। कांग्रेस के नेता एवं सांसद राजीव गौड़ा ने कहा, 'ग्रामीण भारत को मोदी सरकार ने रसातल में पहुंचा दिया है। यूपीए सरकार में लोगों को एमएसपी सपोर्ट का फायदा हुआ था, लेकिन मोदी सरकार में उनकी हालत बदतर हो गई है।'

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