नई दिल्ली
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल फिलहाल के लिए थमता दिख रहा है और गुरुवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. लेकिन पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के केंद्र में रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को पिछले एक महीने के सियासी उतार-चढ़ाव में सबसे ज्यादा फायदा मिलता दिख रहा है.
वैसे तो सत्ता की बागडोर शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे के हाथों में होगी, लेकिन इस सरकार के गठन में निर्णायक भूमिका निभाने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को कम से कम 3 मायनों में जोरदार फायदा हुआ. खासकर उत्तराधिकार के मामले में क्योंकि इस पूरे प्रकरण में बिना कुछ किए उत्तराधिकार का मामला भी सुलझ गया.
इसके अलावा महाराष्ट्र की सियासत में पवार का कद और बढ़ गया है. 79 साल की उम्र में भी उन्होंने दिखा दिया कि वो बेहद सक्रिय हैं. साथ ही नई सरकार में उनकी ठोस हिस्सेदारी भी रहेगी. चुनाव परिणाम आने के बाद लंबे समय तक एनसीपी और शरद पवार कहते रहे कि पार्टी विपक्ष में बैठेगी लेकिन अब वह सत्ता में साझीदार होने जा रही है.
अब माना जा सकता है कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को पार्टी की बागडोर भी मिल सकती है. पार्टी की बागडोर के लिए शरद की बेटी सुप्रिया और अजित पवार के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा है. लेकिन इस बागी तेवर से अजित की स्थिति कमजोर ही हुई है.
23 नवंबर की सुबह से बदली सियासत
23 नवंबर की सुबह बड़ा सियासी हलचल हुआ और अप्रत्याशित तरीके से देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के बागी अजित पवार के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. अजित पवार ने चाचा शरद पवार और पार्टी के खिलाफ जाते हुए फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली.
जैसी की उम्मीद थी कि इस शपथ के बाद राज्य में सियासी सरगर्मी ने तेजी पकड़ी और हर ओर अपने-अपने विधायकों को बचाने का सिलसिला शुरू हो गया. शाम होते-होते एनसीपी ने विधायकों की बैठक बुलाकर अजित पावर को पार्टी के विधायक दल के नेता पद से हटा दिया और उनकी जगह जयंत पाटिल को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई. एनसीपी के मुखिया और 79 साल के बुजुर्ग शरद पवार ने पूरे मामले का नेतृत्व किया और अजित को मनाने का सिलसिला शुरू कर दिया. उन्होंने अजित को लेकर लगातार नरम बयान दिए और पार्टी के नेताओं को मनाने के लिए भेजते रहे. साथ ही अपने विधायकों को एक-एक कर जोड़ते भी रहे.
अजित पवार को मनाने की कोशिश
शरद पवार एक ओर अजित को मनाने के लिए अपने खास लोगों को भेजते रहे तो दूसरी ओर शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया कि यह शपथ ग्रहण गलत है और नई सरकार से तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने को कहा जाए. रविवार छुट्टी के दिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच बैठी और इसने 3 दिन चली सुनवाई के बाद मंगलवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि बुधवार शाम 5 बजे तक बीजेपी सरकार फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत साबित करे.