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BHU को भी नहीं पता कहां हैं असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान, समर्थन और विरोध जारी

वाराणसी 
बीएचयू प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के नवनियुक्त शिक्षक के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। इस चर्चा पर कि वह वीआईपी गेस्टहाउस में ठहरे हैं, अधिकारियों ने इसकी जानकारी होने से इनकार किया। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. राजेश सिंह ने इस बाबत किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। कहा कि डॉ. फिरोज कहां हैं, नहीं पता। वहीं, फिरोज के समर्थन और विरोध का क्रम जारी है। संविधान बचाओ मार्च में भाकपा माले ने फिरोज का समर्थन करते हुए विरोध को अनुचित बताया। अस्सी पर फिरोज के विरोध में सभा की गई।

विश्वविद्यालय प्रशासन डॉ. फिरोज की सुरक्षा को लेकर सतर्क है। सुरक्षातंत्र से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि डॉ. फिरोज कैंपस के आसपास ही हैं। विश्वविद्यालय का माहौल शांतिपूर्ण बनाया जा रहा है ताकि डॉ. फिरोज विद्यार्थियों को पढ़ा सकें। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के छात्र इस नियुक्ति का विरोध कर रहे है। इसलिए वह अभी तक ज्वाइनिंग के बावजूद क्लास नहीं ले सके हैं। बीएचयू कार्यकारिणी की बैठक सात दिसंबर को होने वाली है। इसमें यह मुद्दा उठने की संभावना है। नियुक्ति के  विरोध में छात्रों का आंदोलन जारी है। वे कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं। परीक्षाओं के बहिष्कार की धमकी दे चुके हैं। 

संविधान बचाओ मार्च में डॉ. फिरोज का समर्थन
भाकपा (माले), ऑल इंडिया सेक्यूलर फोरम, इंसाफ मंच सहित अन्य संगठनों की ओर से मंगलवार को संविधान व लोकतंत्र बचाओ मार्च निकाला गया। शास्त्री घाट से जिला मुख्यालय बीएचयू में डॉ. फिरोज की नियुक्ति पर विवाद समाप्त करने, धर्म के आधार पर नागरिकता संशोधन विधेयक वापस लेने आदि मांगों को लेकर मार्च निकाला गया। भाकपा माले की केंद्रीय कमेटी सदस्य व जिला प्रभारी मनीष शर्मा ने कहा कि बीएचयू के संस्कृत विभाग में डॉ. फिरोज खान की वैधानिक नियुक्ति के बाद विरोध उचित नहीं है। इससे  बीएचयू की गरिमा को ठेस पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि इस सवाल पर विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। मार्च में मोहम्मद आरिफ, अमरनाथ राजभर, सागर गुप्ता, नूर फातिमा, कमलेश यादव, आबिद शेख आदि मौजूद थे। 
 

डॉ. फिरोज की नियुक्ति महामना के मूल्यों के विपरीत
बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डा. फिरोज की नियुक्ति के विरोध में मंगलवार को अस्सी घाट पर सभा हुई।  मुख्य वक्ता प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने डॉ. फिरोज की नियुक्ति को महामना के मूल्यों व विश्वविद्यालय के संविधान के विपरीत बताया। धर्म विज्ञान संकाय में न्याय विभाग के पूर्व छात्र व प्राध्यापक रहे डॉ. शिवराम गंगोपाध्याय ने कहा कि दूसरे धर्म को जानना, पढ़ना अलग बात है पर उस धर्म की शिक्षा देना अलग। उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत भाषा पढ़ाने पर कोई आपत्ति नहीं है। मुनीश मिश्र ने प्रशासन की गलतियों को गिनाया। इस अवसर कवि डॉ. अनिल चौबे भी उपस्थित रहे। संचालन शुभम तिवारी, स्वागत कृष्ण कुमार मिश्र और धन्यवाद चक्रपाणि ओझा ने किया। 

काशी विद्वत परिषद और संघ की अहम बैठक आज
बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज की नियुक्ति में हस्तक्षेप करने के लिए काशी विद्वत परिषद की बुधवार को संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक होने जा रही है। माना जा रहा है कि परिषद फिरोज की नियुक्ति पर संघ के नेताओं से हस्तक्षेप करने की मांग करेगी।
काशी पहुंचे संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी, सह सर कार्यवाह कृष्णगोपाल व अखिल भारतीय कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों ने काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष रामयत्न शुक्ल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पांडेय, वशिष्ठ त्रिपाठी सहित कार्यसमिति के छह सदस्यों को आमंत्रित किया है। सिगरा स्थित संघ कार्यालय में दोपहर डेढ़ बजे होने वाली विद्वत परिषद की बैठक में सबसे अहम मुद्दा फिरोज प्रकरण को लेकर है। चूंकि फिरोज प्रकरण में विद्वत परिषद हिंदू संस्कृति के संरक्षण को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट कर चुकी है। परिषद का रुख संघ के क्षेत्रीय पदाधिकारियों की ओर से फिरोज की नियुक्ति का समर्थन करने के बाद जारी किया गया है। ऐसे में संघ के बड़े पदाधिकारियों का भी इस पर रुख भी जानना चाहेंगे। पदाधिकारियों के मुताबिक बैठक में परिषद के विस्तारीकरण, राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, सरकार की ओर हिंदू संस्कृति संरक्षण के लिए सुझाव भी रखे जाएंगे। परिषद का मानना है कि काशी विद्वत परिषद देश की महत्वपूर्ण संस्था है, जो हिंदू संस्कृति के महत्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। परिषद के लिए अलग से कार्यालय के लिए जमीन की भी मांग की जा सकती है।

बयान पर लग सकती है क्लास 
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने काशी प्रांत व संगठन के लोगों की भी बैठक बुलायी है। इसमें फिरोज प्रकरण में जारी बयान पर कारण पूछा जाएगा। एक ही समय में संघ के दिल्ली और बनारस में पदाधिकारियों के अलग-अलग बयान आने  से सवाल उठने लगे थे। ऐसे में माना जा रहा है कि यह बयान देने या दिलवाने के पीछे का मंतव्य जाना जाएगा। सूत्रों के मुताबिक एक-दो लोगों पर कार्रवाई भी हो सकती है। बता दें कि संघ के स्थानीय पदाधिकारियों ने फिरोज की नियुक्ति का समर्थन किया था। जिसके बाद बीएचयू के छात्रों ने कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन भी किया था।
 

फर्जी फेसबुक अकाउंट से फैलायी जा रही भ्रांति
बीएचयू संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय साहित्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. उमाकांत चतुर्वेदी ने विश्वविद्यालय प्रशासन को  बताया है कि संकाय में एक नियुक्ति के संबंध में उनके नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट के माध्यम से सोशल मीडिया में पोस्ट भेजकर छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।  

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