लखनऊ
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 और 35 ए को हटाकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। ऐसा करने से एक देश, एक विधान और एक निशान का सपना साकार हुआ है। अब जम्मू कश्मीर में भी भारतीय संविधान के सभी कानून समान रूप से लागू होंगे।
राज्यपाल ने यह बात मंगलवार को संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विधानमंडल के विशेष सत्र का उद्घाटन करते हुए कही। राज्यपाल के अभिभाषण की खास बात यह रही कि एक लंबे अरसे बाद राज्यपाल का अभिभाषण शांतिपूर्वक सुना गया। अन्यथा पिछले कई वर्षों से विपक्ष अभिभाषण के समय राज्यपाल का स्वागत हंगामे, कागज के गोले फेंकने, बैनर-पोस्टर लहराने व नारेबाजी से करता था। राज्यपाल ने 18 पृष्ठों का अभिभाषण करीब 20 मिनट में पूरा किया।
विधायक लोगों में संवैधानिक चेतना का प्रसार करें
विधानसभा मंडप में विधानमंडल के दोनों सदनों (विधानसभा एवं विधान परिषद) की संयुक्त बैठक में उन्होंने विधायकों से कहा कि वे सामाजिक जीवन में ऐसे उदाहरण पेश करें जिनसे लोगों में संवैधानिक चेतना का प्रसार हो। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि इस गौरवशाली सदन में उपस्थित सभी सदस्य अपनी भूमिका का यथार्थ पालन करेंगे।
संविधान देश की राजव्यवस्था का पथ प्रदर्शक
श्रीमती पटेल ने कहा कि ब्रिटिश राज्य से मुक्ति के लिए हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, तब हमें स्वतंत्र भारत में श्वास लेने का मौका मिला। स्वतंत्रता एवं स्वाधीनता को अझुण्ण रखने के लिए संविधान निर्माताओं ने सशक्त लोकतंत्र की परिकल्पना की थी। भारत को एक कल्याणकारी राज्य और सुदृढ़ लोकतंत्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से हमारे इस अद्वितीय संविधान की रचना की गई। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की परिकल्पना पर आधारित संविधान की शक्तियों का स्त्रोत निश्चय ही देश की जनता है। इसलिए संविधान की प्रस्तावना का आरम्भ हम भारत के लोग से होता है। देश की जनता ही संविधान को शक्ति प्रदान करती है। हमारा संविधान देश की राज-व्यवस्था को संचालित करने का अप्रतिम पथप्रदर्शक है।
संविधान की प्रस्तावना देश को एकसूत्र में पिरोती है
राज्यपाल ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना देश को एकसूत्र में पिरोती है। प्रस्तावना में ही लिखा है कि संविधान सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए है। हमारा संविधान सभी को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय प्रदान करता है।
मूल अधिकारों के बिना गरिमामयी जीवन की कल्पना नहीं कर सकते थे
राज्यपाल ने कहा कि संविधान मूल आदर्शों की प्राप्ति के लिए लोगों को उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा की गारंटी देता है। उन्होंने कहा कि यदि संविधान के महान वास्तुकार हमें मूल अधिकार नहीं देते तो हम समानता, स्वतंत्रता और गरिमामयी जीवन की कल्पना नहीं कर सकते थे। जब हम ऐसे मौलिक अधिकारों की बात करते हैं तो देश के प्रति कर्तव्यों को कैसे भूल सकते हैं। यह भी जरूरी है कि हम दूसरों की स्वतंत्रता की प्रति धैर्य और सहिष्णुता का भाव रखें।
राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें
राज्यपाल ने कहा कि वास्तव में देश से अलग होकर व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं हैं। उन्होंने कहा कि देश के प्रत्यके नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे। धर्म, वर्ग, भाषा और प्रदेश पर आधारित सभी भेदभाव से परे समरसता और भाईचारे का निर्माण करें। महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध प्रथाओं का त्याग करें। सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
सरकार की विस्तृत कार्ययोजना
डा.आंबेडकर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि डा.आंबेडकर ने कहा था कि किसी भी समाज की प्रगति महिलाओं की प्रगति से जानी जाती है। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार ने 26 नवंबर, 2019 से 14 अप्रैल, 2020 तक के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। खास बात यह है कि 14 अप्रैल को डा.आंबेडकर का जन्म दिन है।