नई दिल्ली
महाराष्ट्र के सियासी संग्राम के बीच संविधान दिवस के दिन बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा. इसी का नतीजा यह हुआ कि देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से और अजित पवार को डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. महाराष्ट्र की सियासत के बेताज बादशाह कहे जाने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पावर के आगे बीजेपी के चाणक्य का दांव काम नहीं आ सका. इससे साबित हो गया कि महाराष्ट्र के बाहुबली सिर्फ शरद पवार हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आगे देश के एक से बढ़कर एक नेता अपना सियासी वजूद को बचाकर नहीं रख सके. महाराष्ट्र की सियासत में इन दोनों नेताओं का सियासी जादू फीका पड़ गया. विधानसभा चुनाव के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर कार्रवाई के लिए कदम उठाया तो महाराष्ट्र का यह बूढ़ा शेर जाग उठा. जबकि, एनसीपी के तमाम दिग्गज नेता साथ छोड़कर जा चुके थे.
बारिश में भीगते हुए किया था प्रचार
ऐसे में अकेले पड़े 78 वर्षीय शरद पवार ने दिल्ली बनाम महाराष्ट्र की सियासी लकीर खींच दी और बारिश में भीगते हुए चुनाव प्रचार किया. इसका नतीजा रहा कि एनसीपी किंगमेकर बनकर उभरी. हालांकि बीजेपी-शिवसेना को स्पष्ट बहुमत मिला था, लेकिन दोनों के बीच कुर्सी की लड़ाई में शरद पवार ने अपने सियासी हुनर का इस्तेमाल किया. उन्होंने खामोशी से शिवसेना के कंधे पर हाथ रखा. इससे शिवसेना के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उसने बीजेपी से दशकों पुरानी दोस्ती तोड़ ली.
शिवसेना ने महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी के साथ आने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, लेकिन शरद पवार अपने पत्ते आखिरी वक्त तक नहीं खोल रहे थे. इसका नतीजा यह हुआ कि गवर्नर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की बीच सियासी खिचड़ी पकती रही. कांग्रेस की ओर से भी शिवसेना के साथ बात शरद पवार ही करते रहे थे. तीनों पार्टियों के बीच कई दौर की बैठक के बाद शुक्रवार (22 नवंबर) को सरकार बनाने का फॉर्मूला तय हुआ.
बीजेपी ने चला था यह दांव
कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना सरकार बनाने का दावा राज्यपाल को पेश करती, उससे पहले ही शनिवार को बीजेपी ने शरद पवार के भतीजे अजित पवार को अपने साथ मिलाकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया. महाराष्ट्र में रातोरात राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला कर दिया. शनिवार की सुबह मुंबई के लोग सोकर सही से उठ भी नहीं पाए थे कि देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की और अजित पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के तामाम दिग्गज नेताओं ने देवेंद्र फडणवीस सरकार को बधाई तक दे दी थी.
अजित पवार के बीजेपी खेमे में जाने के बाद शनिवार को कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना बैकफुट पर नजर आ रही थी. ऐसे में शरद पवार ने मुंबई में रहकर कमान संभाली. हालांकि बीजेपी यह दावा करती रही कि हमारे पास 170 विधायकों का समर्थन है. इसके बावजूद शरद पवार ने पहले अजित पवार के साथ जाने वाले एनसीपी विधायकों को वापस लाने की कवायद शुरू की. साथ ही एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई भी शुरू कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह आदेश
सुप्रीम कोर्ट में रविवार को जहां सुनवाई शुरू हुई तो वहीं महाराष्ट्र में शरद पवार को सफलता मिलना शुरू हो गई. अजित पवार के साथ गए एनसीपी विधायकों ने एक-एक कर शरद पवार के खेमे में वापस आना शुरू कर दिया. शाम तक शरद पवार ने एनसीपी के 56 विधायकों में से 49 विधायक को एकजुट कर लिया था और अजित पवार की जगह जयंत पाटिल को विधायक दल का नया नेता बना दिया.
शरद पवार ने एनसीपी नेताओं को अजित पवार की घर वापसी कराने की मुहिम में लगा दिया. इस बीच छगन भुजबल से लेकर जयंत पाटिल ने अजित पवार से बातचीत का सिलसिला शुरू किया. इस तरह से शरद पवार ने बीजेपी के मनोबल को कमजोर करना शुरू किया. सोमवार को शरद पवार ने शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सहित कुल 162 विधायकों को मुंबई के हयात होटल में एकजुट कर शक्ति प्रदर्शन किया. इसके जरिए शरद पवार ने यह साबित करने की कोशिश की कि बहुमत का आंकड़ा बीजेपी के साथ नहीं बल्कि उनके साथ है.
अजित की पकड़ हुई कमजोर
शरद पवार ने अपने सियासी दांव से कई मुश्किलों को आसान कर दिया. भतीजे अजित पवार ने बीजेपी के साथ जाकर एनसीपी में अपनी पकड़ को कमजोर कर लिया है. ऐसे में अब शरद पवार अपना सियासी वारिस निर्विवाद रूप से सुप्रिया सुले को स्थापित करने कामयाब रहे हैं. साथ शरद पवार ने शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार बनाने का श्रेय भी अपने नाम कर लिया है, क्योंकि पूरे सीन में वही नजर आ रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उन्होंने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे देकर अपना आधार भी खो दिया है. साथ ही अब बीजेपी दोबारा से महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दांव भी अब नहीं चल सकेगी. इस तरह से शरद पवार के पैंतरे से फेल हो गया बीजेपी के ऑपरेशन लोट्स का सियासी खेल.