नई दिल्ली
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा के पिछले कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं पूछा था। वह 2004 में पहली बार सांसद चुने गए थे और उसके बाद से तीनों कार्यकाल में इस मामले में उनका रिकॉर्ड खराब ही रहा है। हालांकि 17वीं यानी मौजूदा लोकसभा में उनका अलग अंदाज दिखने के संकेत मिल रहे हैं। इस हफ्ते सदन की कार्यवाही के दौरान उनके नाम से कम से कम 10 सवाल लिस्ट कराए गए हैं। राहुल कई मंत्रालयों से सवाल पूछने वाले हैं। इनमें केरल पर खासतौर से फोकस है। राहुल फिलहाल केरल के वायनाड से सांसद हैं।
वह केरल में बाढ़ प्रभावित आदिवासियों के पुनर्वास को लेकर आदिवासी मामलों के मंत्रालय से सवाल पूछेंगे। वह बिहार, कर्नाटक और केरल जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों को वित्तीय सहयोग मुहैया कराने को लेकर वित्त मंत्रालय से सवाल करने वाले हैं। राहुल ग्रामीण विकास मंत्रालय से सवाल पूछेंगे कि क्या उसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेज-3 के तहत केरल सरकार से प्रस्ताव मिले हैं। वह विभिन्न आदिवासी समुदायों, खासतौर से केरल में रहने वाले समुदायों के स्वास्थ्य के आकलन के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी मांगेंगे।
वह रेल मंत्रालय से बैकलॉग नौकरियों और रेलवे में कॉन्ट्रैक्ट पर रखे जाने वाले कर्मचारियों की बढ़ती संख्या को लेकर सवाल पूछेंगे। वह माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज मंत्री से भी MSME रजिस्ट्रेशन में गिरावट और सार्वजनिक खरीद नीति को लेकर जवाब मांगेंगे। वह स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड की योजना से जुड़ी जानकारी भी चाहते हैं।
22 नवंबर को भी उनके नाम से स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए एक सवाल तारांकित कराया है, जिसमें वह ट्राइबल हेल्थ पर बनी एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों से जुड़े सवाल पूछेंगे। राहुल गांधी फिलहाल विदेश में हैं, लेकिन अपने तारांकित सवाल के मौखिक जवाब को सुनने के लिए उनके जल्द आने की उम्मीद है। राहुल गांधी ने जुलाई में बजट सत्र के दौरान भी दो अतारांकित सवाल रखे थे। इनमें एक सवाल बांदीपुर नेशनल पार्क में रात में ट्रैफिक बैन को हटाने पर रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री से था। वहीं दूसरा सवाल किसानों को लोन भुगतान के लिए कुछ समय की छूट देने के लिए रूरल डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री से था।
राहुल गांधी चौथी बार लोकसभा सांसद चुने गए हैं। 16वीं लोकसभा (मई 2014-मई 2019) में कुल 1.42 लाख सवाल पूछे गए थे, लेकिन इनमें से एक भी सवाल राहुल गांधी की ओर से नहीं आया था। वह उन 31 सांसदों में शामिल थे, जिन्होंने पूरे कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं पूछा था। PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के कैलकुलेशन के मुताबिक एक सांसद ने औसतन 293 सवाल पूछे थे। इसके अलावा 2014-19 के कार्यकाल में उन्होंने कोई प्राइवेट मेंबर बिल भी नहीं पेश किया था। हालांकि वह सदन में 14 चर्चाओं में शामिल हुए थे।