नई दिल्ली
दिल्ली में पानी की गुणवत्ता को लेकर बवाल मचा हुआ है. एक तरफ केंद्र सरकार की रिपोर्ट पर भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है तो वहीं केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार की रिपोर्ट पर कई सवाल उठाए हैं. इस बीच आजतक की टीम ने सोनिया विहार के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया और जानने की कोशिश की कि घरों में पहुंच रहे पानी को शुद्ध पीने योग्य बनाने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है.
जहां गंगा नदी का पानी स्टोर किया जाता है. स्टोर किए गए पानी को कुछ दूर पाइपलाइन के जरिए फिल्टर होने भेजा जाता है. हमारी टीम उस जगह पहुंची जहां पानी को साफ करने की सबसे पहली प्रक्रिया शुरू होती है.
झरने की तरह बहाया जाता है पानी
पानी की गुणवत्ता की जांच करने वाले दिल्ली जल बोर्ड के चीफ एनालिस्ट संजय शर्मा ने बताया कि यहां एक हिस्से में गंगा के पानी को खुले आसमान के नीचे झरने की तरह बहाया जाता है ताकि उसे ऑक्सीजन मिल सके तो वहीं दूसरे हिस्से में इस पानी मे मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए क्लोरीन इस्तेमाल किया जाता है.
पानी को 100 बार किया जाता है टेस्ट
लैब में पानी टेस्ट करने से पहले गंगा के पानी को रेत की मदद से फिल्टर किया जाता है और यहां से पानी के सैंपल को टेस्ट के लिए लैब में भेजा जाता है. सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के चीफ एनालिस्ट संजय शर्मा ने बताया कि प्लांट में पानी की पहले स्टेज से अंतिम स्टेज तक 100 बार टेस्ट किया जाता है. हर घंटे पानी की गुणवत्ता को लैब में टेस्ट किया जाता है. इस दौरान 28 से 30 मानकों पर खरा उतरने के बाद ही दिल्ली की जनता के बीच ट्रीटमेंट प्लांट का पानी भेजा जाता है.
अमेरिका के मानक से बेहतर सफाई
हमारी टीम के सामने लैब में एक मशीन की मदद से पानी की गुणवत्ता की जांच की गई. प्लांट के अंतिम स्टेज से लाए गए पानी को यहां टेस्ट के लिए मशीन में रखा गया. पानी मे गंदगी की जांच करने वाली मशीन ने पाया कि पानी में गंदगी न के बराबर है. मशीन ने पाया की जांच के लिए इस्तेमाल हुआ पानी अमेरिका के मानक से भी बेहतर है.
चार स्टेज में की जाती है पानी की सफाई
दिल्ली जल बोर्ड के वाईस चेयरमैन दिनेश मोहनिया ने बताया कि 4 स्टेज में पानी को साफ किया जाता. इस प्लांट से निकलने वाली पानी की हर एक बूंद को टेस्ट किया जाता है कि वो पीने योग्य है या नहीं. दिल्ली की 15 फीसदी आबादी को सोनिया विहार के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी सप्लाई होता है, जिनमें साउथ दिल्ली और ट्रांस यमुना के इलाके शामिल हैं.
दिल्ली सरकार फिर से लेगी सैंपल
दिनेश मोहनिया का कहना है कि जितनी संख्या में सैंपल लिए जाने चाहिए थे, वैसा केंद्र सरकार ने नहीं किया. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) का कहना है कि दिल्ली जैसे शहर में 10 हजार लोगों पर एक सैंपल उठाया जाना चाहिए. ऐसे में 2 करोड़ की आबादी में सिर्फ 11 सैंपल पर भरोसा करना ठीक नहीं है. केंद्र सरकार ने जिन घरों से सैंपल लिया था, वहां सैंपल फिर से लिए जाएंगे और लैब में टेस्ट किया जाएगा. टेस्ट के बाद नतीजों को जनता के बीच रखा जाएगा.