भोपाल
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने वाले अब्दुल जब्बार का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह भोपाल गैस पीड़ितों के हित में काम करने वाले एनजीओ के संयोजक थे। इलाज के लिए उन्हें भोपाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
एक दिन पहले ही मध्य प्रदेश सरकार ने उनके इलाज का खर्च वहन करने की घोषणा की थी। जब्बार द्वारा बनाया गया एनजीओ लगभग तीन दशक से गैस त्रासदी के पीड़ितों की मदद के लिए काम कर रहा है। अब्दुल जब्बार ने इस त्रासदी में अपने माता-पिता को खो दिया था। उनके फेफड़ों और आंखों पर भी गंभीर असर हुआ था। उन्हें एक आंख से बेहद कम दिखाई देता था।
बता दें कि दो दिसंबर 1984 की रात भोपाल की यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसोसाएनेट गैस लीक हुई जिसने हजारों लोगों की जान ले ली। भोपाल शहर में त्रासदी के निशान अब तक देखे जा सकते हैं।
तबाही ऐसी थी कि हवा जिस ओर भी बहती थी लोगों की मौत होती चली जाती थी। कुछ ही घंटों में वहां तीन हजार लोगों की मौत हो गई। लोगों का मानना है कि वहां 10 हजार के करीब लोग मारे गए थे। इस त्रासदी का प्रभाव अब भी देखा जा सकता है। इस विभीषिका के बाद अब्दुल जब्बार आगे आए और वह पीड़ितों की आवाज बने। अपने एनजीओ के माध्यम से वह पीड़ितों के परिवार की मदद करते थे और उनकी बात को सरकार तक पहुंचाने का भी काम करते थे।