नई दिल्ली
किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की अराधना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं.
कब आती है संकष्टी चतुर्थी?
संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं.
संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणपति की आराधना करके विशेष वरदान प्राप्त किया जा सकता है और सेहत की समस्या को भी हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है. संकष्टी चतुर्थी 15 नवंबर, शुक्रवार को है.
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
चन्द्रोदय का समय- शाम को 07:48 बजे
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 15 नवम्बर, शाम 07:46 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त- 16 नवम्बर, शाम 07:15 बजे
संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा
भगवान गणपति में आस्था रखने वाले लोग संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न करके मनचाहे फल की कामना करते हैं.
– संकष्टी चतुर्थी पर सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं.
– स्नान करके साफ हल्के लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें.
– भगवान गणपति के चित्र को लाल रंग का कपड़ा बिछाकर रखें.
– भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करें.
– भगवान गणपति के सामने दीया जलाएं और लाल गुलाब के फूलों से भगवान गणपति को सजाएं.
– पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, फूल तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें.
– भगवान गणपति के सामने धूप दीप जलाकर निम्न मंत्र पढ़ें. यह मंत्र कम से कम 27 बार जरूर पढ़ें. इससे नौकरी व्यापार आदि में लाभ जरूर होगा.