चंडीगढ़
नए मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने से पहले ने खास रणनीति अपनाई है और डिनर पॉलिटिक्स कर रहे हैं। कहा भी जाता है कि राजनीति में आगे बढऩा है तो हर वह काम करना पड़ता है, जो बहुत जरूरी नहीं है। दूसरी बार सूबे की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री मनोहरलाल इस बात को बखूबी समझ चुके हैैं। सभी को साथ लेकर चलने में माहिर मनोहर लाल ने कैबिनेट गठन से पहले भाजपा और निर्दलीय विधायकों को डिनर पार्टी दी है। भाजपा में कभी नियमित डिनर संस्कृति के हक में नहीं रही, लेकिन समय के हिसाब से बदलाव खुद ब खुद हो ही जाता है। डिनर पॉलिटिक्स से वह भाजपा और जेजेपी के संग-संग निर्दलीय विधायकों को साधने में लगे हैं, ताकि पांच साल निर्बाध शासन चला सकें।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल पहले भी डिनर देते रहे हैैं, लेकिन बुधवार का रात्रिभोज कुछ खास बात दिख रही है। इस डिनर में सबको साथ लेकर चलने के भरोसे का संदेश दिखा है तो सहयोगी दल जेजेपी को मजबूत हमसफर के तौर पर आगे तक ले जाने का भरोसा भी दिया गया है। निर्दलीय नाराज न हों और उन्हें सरकार में हिस्सेदार होने का आभास बना रहे, इस मंशा से वे इस डिनर के गवाह बने।
हरियाणा विधानसभा का इस बार का गणित ही कुछ ऐसा बना कि अकेले किसी दल की बात नहीं बन सकती थी। भाजपा और जेजेपी साथ आए तो निर्दलीय विधायक एकजुटता दिखाकर अपनी ताकत का अहसास कराने से नहीं चूके। भाजपा के पास शुरू में सरकार बनाने के लिए निर्दलीय विधायकों का ही सहारा था, लेकिन जेजेपी का साथ मिल जाने के बाद निर्दलीय विधायकों को अपनी अनदेखी अखरने लगी।
भाजपा हाईकमान और आरएसएस के बड़े नेताओं ने हालांकि सूबे के संगठन को किसी भी सूरत में निर्दलीय विधायकों की अनदेखी नहीं करने के संकेत दिए हैैं, क्योंकि सात निर्दलीय विधायकों में पांच भाजपा की पृष्ठभूमि के हैैं और दो दिल से भाजपा के साथ हैैं, इसलिए यदि भविष्य में कभी जरूरत पड़ी तो यह निर्दलीय ही भाजपा के काम आने वाले हैैं।