नई दिल्ली
कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने के मामले में पाकिस्तान के साथ खड़े चीन से भारत ने अपने संबंध स्थिर बनाए रखने की कवायद नहीं छोड़ी है। असहमति के सुर मतभेद में न बदलें इस सिद्धांत को फिलहाल दोनों पक्षों ने बनाए रखा है। इसी कड़ी में अक्तूबर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्रा को लेकर कूटनीतिक स्तर पर तैयारियां चल रही हैं।
भारत इस यात्रा को खासी अहमियत दे रहा है। कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि कश्मीर मुद्दे पर असहमति के बाद भी दोनों पक्ष मान रहे हैं कि कई सकारात्मक मुद्दों पर आगे बढ़ने की जरूरत है। इसीलिए चीन द्वारा संयुक्त राष्ट में दिखाई गई पैंतरेबाजी के बावजूद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर संपर्क बना हुआ है।
व्यापार और अन्य आपसी मुद्दों को लेकर परस्पर चर्चा जारी है। जिनपिंग की 11 अक्तूबर की प्रस्तावित यात्रा के कार्यक्रम को जल्द अंतिम रूप दे दिया जाएगा। वुहान की तर्ज पर होने वाली यात्रा वाराणसी के बजाय किसी अन्य स्थान पर हो सकती है।
जानकारों के मुताबिक कश्मीर मुद्दे पर जिस तरह का माहौल बनाने का प्रयास पाकिस्तान ने किया है उसे देखते हुए जिनपिंग का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के लिए भारत आना हमारी बढ़ती कूटनीतिक ताकत का स्पष्ट संकेत होगा। जानकारों का कहना है कि चीन के साथ भारत की कई सीमावर्ती मुद्दों पर असहमति है।
तैयारी
* अक्तूबर में प्रस्तावित यात्रा को लेकर चल रही तैयारियां।
* दोनों देशों के बीच व्यापार जैसे मुद्दों पर जारी है चर्चा।