श्रीनगर
कश्मीर घाटी में 7 नवंबर को हुई बेमौसम बर्फबारी ने घाटी के किसानों की कमर ही तोड़ दी है. हजारों की तादाद में सेब के बगीचे तबाह हो गए हैं. किसानों का कहना है कि नवंबर के पहले हफ्ते में इस तरह की बर्फबारी उन्होंने दशकों तक नहीं देखी. घाटी में कई किसानों के सेबों के पेड़ खत्म ही हो गए हैं.
हालांकि, सरकार की तरफ से अभी भी नुकसान का अंदाजा नहीं लगाया जा सका है, क्योंकि घाटी के दूरदराज इलाकों में भारी बर्फबारी के चलते अभी भी रास्ते बंद पड़े हैं.
जानकारों का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में व्यवसाय और कारोबार को जो नुकसान तीन महीने के दौरान नहीं हुआ, उससे कहीं ज्यादा नुकसान इस बर्फबारी से कश्मीर में हुआ है. बर्फबारी से कश्मीर में अभी भी कई सारे इलाके कटे हुए हैं. यहां तक कि श्रीनगर के कुछ इलाकों को छोड़कर घाटी के दूसरे इलाकों में अभी तक बिजली भी बहाल नहीं हो पाई है. बता दें कि कश्मीर में हुई इस बे मौसम बर्फबारी के लिए ना ही प्रशासन तैयार था और ना ही किसानों ने इस तरह की बर्फबारी का अनुमान लगाया था.
अचानक बर्फबारी से किसान बेहाल
कई किसानों का यह भी कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में नवंबर के पहले हफ्ते में इस तरह की बर्फबारी कश्मीर में कभी नहीं देखी. नवंबर के महीने में अभी किसान सेब की फसल उतारने में ही व्यस्त थे और अचानक हुई इस बर्फबारी ने उन्हें बेहाल कर रख दिया है.
हॉर्टिकल्चर से जुड़े जानकारों के अनुसार, सेब के पेड़ों में हुए भारी नुकसान का कारण पेड़ों की हरियाली है क्योंकि अभी पेड़ों से पत्ते नहीं लगे थे जिस कारण आसमान से गिरी सारी बर्फ पेड़ों पर जमा हुई. इस वजह से बर्फ का वजन पेड़ों की टहनियां और पेड़ बर्दाश्त नहीं कर पाए, जिसके कारण या तो वो पेड़ गिर गए या उखाड़ गए.