इंदौर
अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले (Supreme Court Ayodhya Verdict) को संतुलित करार देते हुए विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने शनिवार को इसका स्वागत किया. इसके साथ ही उम्मीद जताई कि संविधान पीठ के आदेश पर बनने वाला ट्रस्ट राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर (Ram Temple) का निर्माण राम जन्मभूमि न्यास के उस डिजाइन के मुताबिक ही कराएगा जिसके तहत पिछले तीन दशक से पत्थर तराशे जा रहे हैं. विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे (Vishnu Sadashiv Kokje) ने कहा, "अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अब किसी भी पक्ष की हार या जीत का सवाल नहीं है, क्योंकि अदालत ने संतुलित फैसला सुनाते हुए सदियों पुराने मसले को अच्छी तरह हल कर दिया है. यह फैसला स्वागतयोग्य है, क्योंकि इसके तहत न्याय किया गया है."
कोकजे ने कहा, "इस फैसले की रोशनी में हम समझ रहे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जरूरी फैसले शीर्ष अदालत के आदेश पर सरकार द्वारा गठित किए जाने वाले ट्रस्ट की निगरानी में ही होने हैं. हालांकि, हम उम्मीद कर रहे हैं कि राम जन्मभूमि पर उसी डिजाइन के मुताबिक भव्य मंदिर का निर्माण किया जायेगा, जो राम जन्मभूमि न्यास ने पहले से तैयार कर रखा है. इस डिजाइन को अपनाया जाना (प्रस्तावित) ट्रस्ट के लिए सुविधाजनक भी होगा." अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद काशी और मथुरा के विवादित धार्मिक स्थलों को लेकर विहिप की आगामी योजना के बारे में पूछे जाने पर कोकजे ने सीधा जवाब टाल दिया. उन्होंने संबंधित प्रश्न पर कहा, "फिलहाल हम अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. बाकी विषयों पर समाज के रुख को राम मंदिर निर्माण के बाद देखा जाएगा."
मध्यप्रदेश और राजस्थान के उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीश ने कहा, "राम जन्मभूमि न्यास ने मंदिर निर्माण के लिए काफी तैयारी कर रखी है. मंदिर का डिजाइन तैयार है और इसके मुताबिक बड़े पैमाने पर पत्थर भी तराश लिए गए हैं." गौरतलब है कि विहिप ने राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में 1990 में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थरों को तराशना शुरू किया था. राम जन्मभूमि न्यास विश्व हिन्दू परिषद के सदस्यों का स्थापित ट्रस्ट है. इस ट्रस्ट की स्थापना अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के उद्देश्य से 18 दिसंबर 1985 को की गई थी.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शनिवार को सुनाए अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित किया जाना चाहिए जिसके प्रति हिन्दुओं की आस्था है कि भगवान राम का जन्म वहीं हुआ था. विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि उनका संगठन यह उम्मीद भी करता है कि भगवान राम के प्रति भक्ति-भाव रखने वाले हिन्दुओं को ही प्रस्तावित ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल ने जोर देकर कहा, "अयोध्या में राम जन्मभूमि के विवाद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या विश्व हिंदू परिषद ने पैदा नहीं किया था. राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर आम जनता ने आंदोलन शुरू किया था और हम लोग इसमें शामिल हुए थे."