भोपाल
राज्यपाल लाल जी टंडन ने कहा है कि इतिहास के पन्नों में छिपे भारतीय संस्कृति, ज्ञान, दर्शन और कौशल को देश-दुनिया के सामने लाने के विशेष प्रयास किये जाने चाहिये। भारतीय संस्कृति और ज्ञान को फैलाने विश्वविद्यालय आगे आयें। उन्होंने कहा किविश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान और संस्कृति की उपादेयता को देश-दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने का कार्य करें। इससे नई पीढ़ी में अपनी संस्कृति के प्रति सम्मान और गौरव का भाव बढ़ेगा। टंडन आज राजभवन में अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय और महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय की समीक्षा कर रहे थे।
राज्यपाल टंडन ने पाणिनि विश्वविद्यालय की समीक्षा के दौरान कहा कि विश्वविद्यालय अपनी भूमिका को समझकर संस्कृत और संस्कृति के सामंजस्य के साथ उनके प्रसार के प्रयास करे। भारतीय मनीषियों के ज्ञान को विश्व के सामने लाने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं वरन् पूरी संस्कृति है। संस्कृत की शास्त्रार्थ परंपरा भारतीय संस्कृति की विलक्षणता है। इसी कारण भारत में बड़े से बड़ा सामाजिक परिवर्तन बिना रक्तपात के हुआ है जबकि दुनिया के किसी भी देश में यह संभव नहीं हुआ।
राज्यपाल टंडन ने अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की समीक्षा के दौरान कहा कि जिस देश की धरती के ज्ञान पर दुनिया के शोध और अनुसंधान, तकनीकी-चिकित्सकीय विज्ञान आधारित है उसी देश के विद्यार्थियों को विदेशी भाषा में ज्ञान प्राप्त करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को बदलने के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय उद़देश्यों को पूरा करने में सफल हो इसके लिए सभी प्रकार का सहयोग मिलना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन को विश्वविद्यालय का विजन डॉक्यूमेंट तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अन्य भाषाओं के पुस्तकीय ज्ञान को हिन्दी में उपलब्ध कराने के दायित्व को अंगीकार करे। अन्य विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय कर इस दिशा में प्रभावी प्रयास किये जाने चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों की सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो तथा उनकी प्रकृति और दायित्वों के अनुरूप उन्हें अनुदान प्राप्त हो। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और नीति निर्धारित कर आवंटन की आवश्यकता बताई।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा हरिरंजन राव, राज्यपाल के सचिव मनोहर दुबे और विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे।