नई दिल्ली
भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने ओलंपिक का टिकट हासिल करने के बाद खुशी जाहिर की है। दुनिया के बेहतरीन गोलकीपर में गिने जाने वाले श्रीजेशन ने गोलकीपिंग पर मजेदार बयान देते हुए इसे वाइन की तरह बताया जो जितनी पुरानी होती है उतनी ज्यादा बेहतर होती जाती है।
भारतीय पुरुष और महिला दोनों ही टीमों ने ओलंपिक के लिए क्लालीफाइ कर लिया है। पुरुष टीम ने रूस जबकि महिला टीम ने यह उपलब्धि अमेरिकी टीम के खिलाफ खेलते हुए हासिल की। पूर्व भारतीय कप्तान श्रीजेश ने अपनी कामयाबी के सफर के शुरुआती दिनों में मिली नाकामयाबी को सबसे अहम बताया।
पीटीआइ से बात करते हुए श्रीजेश ने कहा, शुरुआत के कुछ साल मेरे लिए बहुत ही कठिन थे। इंटरनेशनल हॉकी होता कैसा है इसको समझने में ही यह साल निकल गए। जैसे खेल में बदलाव आ रहा है यह और भी ज्यादा रफ्तार से खेला जाने लगा है। इसलिए हर एक टूर्नामेंट आपको कुछ ना कुछ सिखा कर जाता है।
मैंने जब अपने करियर की शुरुआत की थी तो बहुत सारे गोल खाता था लेकिन फिर भी सबको मेरे उपर भरोसा था। वो सभी मुझे उत्साहित करते थे। एक गोलकीपर से लिए सबसे अच्छी बात तब होती है जब वह दूसरी पसंद होता है। मैच के दौरान बाहर बैठकर आपको देखते हुए काफी अनुभव मिलता है। मैं अपने सीनियर्स से मिली सलाह और उनके द्वारा दिए गए सुझाव के लिए बहुत ज्यादा शुक्रगुजार हूं।
आगे उन्होंने कहा, आज मैं अपनी राह में साने वाली सभी परेशानी और मुश्किलों का सामना करते हुए इस पड़ाव पर पहुंचा हूं। गोलकीपर्स वाइन की तरह से होते हैं, जितने दिन तक उसको रखते हैं वो और भी टेस्टी हो जाता है।