नई दिल्ली
डीएचएफएल में करीब एक लाख लोगों की एफडी फंस चुकी है। ये वो लोग हैं जिन्होंने मात्र एक फीसदी तक ज्यादा ब्याज पाने के लालच में अपनी गाढ़ी कमाई लगा दी। इस कंपनी के खेल पर एक नजर:
कंपनी पर नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) का 41,431 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं बैंकों का, 27,527 करोड़ रुपये, 6,188 करोड़ की एफडी, 2,747 करोड़ रुपये की एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग (ईसीबी), नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के 2,350 करोड़, सब-कर्ज और पर्पेचुअल कर्ज क्रमश: 2,267 करोड़ और 1.263 करोड़ रुपये और कमर्शियल पेपर 100 करोड़ रुपये के हैं। इस तरह कंपनी पर कुल 83,873 करोड़ रुपये बकाया है।
फरवरी में सरकार ने डीएचएफएल को कर्ज देने वाले बैंक ऑफ बड़ौदा, एसबीआई और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को कंपनी के फंड की हेराफेरी की फारेंसिक जांच का आदेश दिया था। कंपनी पर आरोप लगे थे कि उसने कॉर्पोरेट मंत्रालय को जानकारी दिए बगैर ही बड़े कर्ज की मंजूरी दी है।
प्रवर्तन निदेशालय ने इकबाल मिर्ची से जुड़े धनशोधन मामले में डीएचएफएल और अन्य संबंधित कंपनियों के लगभग एक दर्जन परिसरों पर पिछले माह छापेमारी की। इकबाल मिर्ची दाऊद इब्राहीम का सहयोगी था। डीएचएफएल का सबलिंक रियल एस्टेट से कथित तौर पर कारोबारी संबंध है। सबलिंक मिर्ची के साथ वित्तीय लेन-देन को लेकर की जा रही जांच के केंद्र में है। डीएचएफएल ने रियल एस्टेट कंपनी को 2,186 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। डीएचएफएल ने इससे पहले कहा था कि कथित संदिग्ध लेन-देन से उसका कोई संबंध नहीं है।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्र्पोरेशन लिमिटेड ने अपने कर्मचारियों के भविष्य निधि (पीएफ) का करीब 2631 करोड़ रुपया डीएचएफएल में लगाया हुआ है। वहीं कर्मचारियो का 1,600 करोड़ रुपये डीएचएफएल की सावधि जमा (एफडी) में अभी भी फंसा हुआ है। यह खुलासा डीएचएफएल मामले की जांच गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को दिएजाने के बाद हुआ है। इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों कर्मचारियों की धनराशि डीएचएफएल में जमा करने के मामले की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिए हैं।