भोपाल
भाजपा की तर्ज पर प्रदेश कांग्रेस भी अब संगठन में कसावट व युवा तुर्क नेताओं को आगे लाने की कवायद करेगी। इसके लिए पांच साल से अधिक समय से जमे जिलाध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी व महासचिव दीपक बावरिया ने इस दिशा में जमावट की तैयारी शुरु कर दी है। बहरहाल,इंतजार पार्टी के नए प्रदेशाध्यक्ष का किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस,भाजपा के मुकाबले मैदानी स्तर पर पकड़ के मामले में मात खाती रही है। कमजोर संगठन और नेटवर्क इसकी मुख्य वजह रहा है। दूसरी बड़ी समस्या अनुशासन की कमी व गुटों में बंटे नेता व उनके समर्थक हैं। पार्टी के प्रदेश प्रभारी बावरिया ने अनुशासन का कायम करने के कड़े जतन किए,लेकिन वह असफल ही साबित हुए,बल्कि चुनाव के दौरान तो उन्हें भी इससे दो-चार होना पड़ा। पार्टी ने कांग्रेस सेवादल को नए सिरे से खड़ा करने की कोशिश की लेकिन इसमें भी उसे नाकामी का सामना करना पड़ा। बहरहाल,सत्ता में आने और अब एक उपचुनाव जीतने के बाद प्रदेश कांग्रेस उत्साह से भरी हुई है। इसके चलते पार्टी के प्रदेश प्रभारी एक बार फिर से नई जमावट की तैयारी में हैं।
छिन सकता है दर्जन भर नेताओं के पद
बताया जाता है,कि पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चयन के बाद जिलाध्यक्षों व कार्यकारिणी का गठन होना तय है। ऐसे में मैदानी नेताओं के तौर पर अधिक ऊर्जावान,सक्रिय व युवा चेहरों की तलाश शुरु हो गई है। इसके लिए नया फार्मूला तय किया गया है,कि पांच साल से एक ही पद पर रहे व्यक्ति को दोबारा उसी पद पर मौका न दिया जाए। इस मामले में गुटबाजी आड़े नहीं आई तो एक दर्जन से अधिक जिलाध्यक्षों को नए फार्मूले में अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है। सूत्रों का दावा है, कि जिन अध्यक्षों का काम काज बेहतर और ठीक रहा उन्हें पार्टी प्रदेश संगठन में जगह देगी। लेकिन जिन का काम संतोषजनक नहीं होगा उन्हें पद से हटाकर संगठन की अहम जिम्मेदारियों से भी दूर रखा जाएगा।