इंटरकनेक्ट यूसेज चार्ज (IUC) को लेकर पिछले दिनों टेलिकॉम सेक्टर में काफी उथल-पुथल देखने को मिला। आईयूसी को लेकर जियो और दूसरी टेलिकॉम कंपनियों के बीच विवाद काफी बढ़ गया था। इसकी शुरुआत तब हुई जब एयरटेल ने जियो पर 20 सेकंड (कुछ सर्कल्स में 25 सेकंड) का रिंग टाइम लगाकर ज्यादा आईयूसी कमाने का आरोप लगाया था। जियो के 20 सेकंड रिंग टाइम को देखकर दूसरी कंपनियों ने भी अपने रिंग टाइम को घटा दिया। हालांकि, अब ट्राई ने सभी ऑपरेटर्स के लिए 30 सेकंड के रिंग टाइम को तय कर दिया है। ट्राई के इस फैसले से जियो को झटका लगा है।
ट्राई ने प्रेस रिलीज में दी जानकारी
ट्राई द्वारा जारी किए गए लेटेस्ट प्रेस रिलीज के मुताबिक अब सभी टेलिकॉम ऑपरेटर्स को 30 सेकंड का रिंग टाइम देना होगा। यह इनकमिंग और आउटगोइंग दोनों कॉल्स के लिए लागू है। ट्राई ने कहा है कि कॉल का जवाब मिले या न मिले, लेकिन फोन रिंग होने का ड्यूरेशन 30 सेकंड होना चाहिए। इतना ही नहीं, ट्राई ने ऑपरेटर्स को निर्देश देते हुए यह भी कहा कि ऑरिजिनेटिंग कॉल के ऑपरेटर को टर्मिनेटिंग नेटवर्क द्वारा कॉल रिलीज मेसेज न मिलने पर 90 सेकंड के बाद अनआंसर्ड कॉल रिलीज करना जरूरी होगा।
कई दिनों से चल रहा था विवाद
आउटगोइंग रिंगर टाइम को लेकर एक महीने पहले शुरू हुए जियो और एयरटेल के विवाद के बाद ट्राई को यह फैसला लेना पड़ा। एयरटेल शुरू से अपने नेटवर्क पर 45 सेकंड का रिंग टाइम देता आया है। कंपनी का मानना था कि 45 सेकंड किसी कॉल का जवाब देने के लिए पर्याप्त है। वहीं, जियो ने आईयूसी चार्जेस से बचने के लिए अपने रिंग टाइम को घटाकर 20 सेकंड तक कर दिया था। इस दौरान वोडाफोन ने ट्राई को सुझाव देते हुए रिंग टाइम को 30 सेकंड रखने की बात कही थी।
ज्यादा आईयूसी कमाने का था लालच
अलग-अलग रिंग टाइम होने के कारण कस्टमर्स के कॉल न चाहते हुए मिस्ड कॉल में बदल जाते थे। वहीं, मिस्ड कॉल के बाद कॉल बैक करने पर उस नेटवर्क को आईयूसी चार्ज देना होता था। जियो इसी से बचने के लिए अपने रिंग टाइम को 20 सेकंड कर दिया ताकि उसके नेटवर्क पर ज्यादा से कॉल बैक आएं और उसे अधिक आईयूसी का फायदा हो।
हमेशा के लिए खत्म हो सकता है आईयूसी
हालांकि, अब ट्राई ने सभी ऑपरेटर्स के लिए 30 सेकंड का रिंग टाइम तय कर दिया है। इसके बाद अब यूजर्स को 30 सेकंड का रिंग टाइम मिलेगा चाहे कॉल का जवाब मिले या न मिले। सभी ऑपरेटर्स के लिए 30 सेकंड का रिंग टाइम इस बात को सुनिश्चित करेगा कि किसी कंपनी को आईयूसी के कारण नुकसान न हो। बताते चलें कि आईयूसी चार्ज को हमेशा के लिए खत्म किए जाने पर विचार किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इसका फैसला 31 दिसंबर 2019 के बाद आ जाए।