नई दिल्ली
दिवाली से एक दिन पूर्व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक दृष्टि से इस त्योहार का काफी महत्व है। इसे यम दीपावली भी कहते हैं क्योकि इस दिन संध्या के समय यमराज के नाम से दीप दान यानी दीप जलाया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि यम दीपावली की शाम में घर को सूना नहीं छोड़ना चाहिए यानी घर में कोई ना कोई जरूर होना चाहिए। मान्यता है कि घर को सूना रखने से सुख-समृद्धि की हानि होती है। अकाल मृत्यु को टालने और समृद्धि के लिए छोटी दिवाली के दिन घर के दक्षिण दिशा में एक दीप में कौड़ी, 1 रूपये का सिक्का रखकर दीप को जलाना चाहिए और यमराज से अकाल मृत्यु को टालने की प्रार्थना करनी चाहिए। कहते हैं जिन घरों में यमदीप का दान होता है उनके पूर्वज प्रसन्न होते हैं और यमराज भी उस घर में रहने वालों को अकाल मृत्यु से बचाते हैं।
26 अक्टूबर यानी आज चतुर्दशी तिथि का आरंभ दिन में 3 बजकर 46 मिनट पर हो रहा है। चतुर्दशी तिथि का समापन 27 अक्टूबर को दिन में 12 बजकर 33 मिनट पर होगा। नरक चतुर्दशी का दीपदान प्रदोष काल में होता है। इसलिए 26 अक्टूबर को संध्या काल में दिल्ली के समय के अनुसार 5 बजकर 41 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट दीपदान कर सकते हैं।
नरक चतुर्दशी पर अभयंग स्नान की भी परंपरा है। इसके लिए शुभ समय 27 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 30 मिनट है।
चतुर्दशी तिथि का आरंभ 26 अक्टूबर 3 बजकर 46 मिनट।
चतुर्दशी तिथि समाप्त 27 अक्टूबर 12 बजकर 33 मिनट।