नई दिल्ली
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसबा चुनाव नतीजों में एक चीज कहीं नजर नहीं आई और वह है ईवीएम को लेकर शिकायत। पिछले कुछ वक्त से हर चुनाव के बाद ईवीएम को लेकर राजनीतिक पार्टियों की ओर से बयान जरूर आते हैं। इस बार इस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर पार्टियों की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई। हरियाणा में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है और महाराष्ट्र में भी विपक्षी दलों ने उम्मीद से मजबूत चुनौती पेश की है।
चुनाव नतीजों से दोषमुक्त हुआ EVM
ईवीएम के तकनीकी पक्षों के जानकार एक शख्स ने बताया, 'चुनाव नतीजों के लिए ईवीएम से छेड़छाड़ का दावा करनेवाले लोग कर्नाटक, एमपी और राजस्थान में नतीजों के बाद भी चुप ही थे। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने भी साबित कर दिया है कि ईवीएम को टैंपर करने की बात पूरी तरह से गलत है।'
इन चुनाव में भी ईवीएम को लेकर हुआ विवाद
चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार, ईवीएम बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट्स और वीवीपैट का हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में (0.42%, 0.44% और 2.69%) प्रयोग हुआ था। अपने सीमित परीक्षण में यह त्रुटिमुक्त नजर आए। इस बार भी चुनाव में किसी न किसी तरह से ईवीएम का मुद्दा छाया रहा। हरियाणा के असांध विधानसभा से उम्मीदवार बख्शीश सिंह विर्क का एक विडियो काफी वायरल हुआ। विडियो में विर्क कहते दिख रहे हैं कि ईवीएम पर भले ही कोई बटन दबाया जाए वोट तो वह बीजेपी को ही मिलेगा। बाद में उन्होंने इस विडियो को फेक बताया। हालांकि, विर्क न तो विजेता भी बने और न दूसरे नंबर पर ही रहे।
लोकसभा चुनाव से पहले भी उठा था EVM का मुद्दा
लोकसभा चुनाव से पहले भी ईवीएम का मुद्दा काफी हावी रहा था। चुनाव प्रचार के दौरान स्काईप के जरिए लंदन से एक विडियो जारी की गई। विदेश में रह रहे इस तथाकथित तौर पर ईवीएम एक्सपर्ट ने दावा किया था कि 2014 के चुनावों में ईवीएम को हैक किया गया था। हालांकि चुनाव आयोग ने इस दावे को नकारते हुए इसे प्रॉपगैंडा करार दिया था।