रायपुर
सुराजी योजना के तहत संचालित “नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी“ गोठानों में एकत्रित पशुओं से मिलने वाले गोबर का विविध उपयोग शुरू किया गया है। इसका एक उपयोग गोबर से बने दीपक भी है, ये दीप न केवल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास को रोशन करेगें बल्कि इस दीपोत्सव में ये दीये आम नागरिकों के घर को भी रोशन करेंगें।
जिला प्रशासन रायपुर द्वारा गोठानों में अनेक स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर से दीये बनाये जा रहे हैैैे। इन दीयों कोे बेचने के लिए विभिन्न स्थानों पर व्यवस्था की गई है। रायपुर शहर में तेलीबांधा तालाब (मरीन ड्राईव), कलेक्टोरेट, नालन्दा परिसर, मेग्नेटो माल, सिटी सेंटर मॉल, अम्बुजा मॉल, शिल्प सरोवर और रेल्वे स्टेशन में गोबर के बने दीए विक्रय के लिए उपलब्ध है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गत दिवस स्वयं राजधानी रायपुर के तेलीबांधा तालाब पहुंच कर दीपावली के लिए मिट्टी और गौठानों के गोबर से बने दीये खरीदे थे। यहां परिक्रमा पथ पर छत्तीसगढ़ माटीकला बोर्ड, छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन-बिहान के स्टॉल लगाए गए हैं। इन स्टॉलों में छत्तीसगढ़ के कुम्हारों, हस्तशिल्पियों, स्व सहायता समूह की महिलाओं एवं अन्य कारीगरों द्वारा बनाये गए दीये, सजावट की वस्तुएं, उपहार, छत्तीसगढ़ी व्यंजन सहित अन्य सामग्रियां प्रदर्शन और विक्रय के लिए रखी गयी हैं। बिहान के स्टॉल में महिला समूहों द्वारा गौठानों के गोबर से बनाए गए दीये और अन्य सजावटी वस्तुएं खरीददारी के लिए उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से दीपावली सहित अन्य त्यौहारों के समय में छत्तीसगढ़ के कुम्हारों, हस्तशिल्पियों, बुनकरों एवं अन्य कारीगरों द्वारा बनाये गए दीये, वस्त्र, सजावट की वस्तुएं, उपहार एवं अन्य सामग्री की अधिकाधिक खरीदी करने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रायपुर जिले के बनचरौदा गांव के गोठान के अवलोकन के समय गोबर से बनने वाले दीयों और पूजन सामग्री का भी अवलोकन कर उनकी प्रशंसा की थी।